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Showing posts from July, 2017

शब्द

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प्यार भरा नमस्कार दोस्तों , आज काफी दिनों बाद आपसे मुखातिब हूँ , कुछ मस्रुफ़ियतें थी और कुछ जिंदगी में एक बार फिर से किसी ऐसे रिश्ते (जिसकी भरपाई नहीं हो सकती )का साथ छूटने का गम और उदासी थी  , कि आपसे बात नहीं हो पाई ,   माँ-पापा के बाद सासु माँ और अब ससुर जी के देहावसान ने मन को बहुत दुखी किया . इत्तेफाक़ ऐसा है कि किसी को भी आखिरी प्रणाम नहीं कर पाई ....बस सबसे आखिरी मुलाक़ातें और उनकी आखिरी बातें ही याद हैं ..... उनकी बातें जो शब्द - शब्द बन दिमाग में चलती हैं और मन को झकझोरती हैं ....अपनी श्रध्हांजलि अर्पित करती हूँ सबको . 'शब्द ' बहुत करामाती , करिश्माई होते हैं ....गर ये नश्तर हैं , नासूर हैं , जहर हैं....तो ये राहत हैं , दवा हैं और सुकून भी हैं . जीते जी  मार देने की ताक़त है तो जिला देने का हुनर भी है इनमें  ....बस फ़र्क है तो इस्तेमाल में ... ' ये बिलकुल बेकार है , इसके बस का कुछ नहीं '..' तुम रहने दो भाई तुमसे कुछ न होगा , धरती के बोझ हो तुम'..' भगवान ने क्या सोचकर तुम्हे बनाया  है ' ..' तुमसे तो फलां - फलां ही बेहतर है '.... यूँ तो य

देखी -सुनी

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प्यार भरा नमस्कार दोस्तों,  आज मन हुआ कि आपके साथ वो छोटी - छोटी कहानियां साझा करूं जो कहीं न कहीं असल जिंदगी से प्रभावित हैं ....या कहूँ कि देखी  - सुनी , कहीं पढ़ी या  किसी की बताई (आपबीती) को  अपने लफ्जों और जज्बातों में बयाँ किया है .. .औरत के हालात बदलते वक़्त के साथ उतनी तेजी से नहीं बदले हैं ...और हमारे पुरुष-प्रधान समाज में तो इसे  वैसे भी थोडा ज्यादा समय लगेगा ...सही कहा ना ?....ईमानदारी से सोचियेगा ....क्योकि तभी आप आस-पड़ोस , रिश्तेदारों , दोस्तों के साथ साथ अपना भी मूल्याङ्कन और सच्चाई का सामना भी कर पाएंगे ....                                                                      ' आदत ' ट्रे से चाय का प्याला उठाते हुए मनीष ने मीना से पूछा ," तो भाभीजी  आप भी जाब में हैं क्या "?  "जी" इससे पहले कि वो बात पूरी करती , पति आशीष ने तल्ख़ लहजे में कहा ," हाँ टाइम पास है , या कहो कि घर से बाहर निकलने का बहाना है". " अरे ऐसा क्यों कहते हो यार "! मनीष आगे बोला ,"आजकल दोनों लोगो के कमाने कि वजह से ही हम लोग ठीक - ठाक ढंग से

सुकून

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 प्यार भरा नमस्कार दोस्तों , 'सुकून ' , आज के परिवेश में बहुत आम और अकसर जुबां पर आने वाला शब्द , शायद इसलिए कि कमोबेश हम सभी को इसकी तलाश है ....कारण सबके अपने - अपने और अलग - अलग हैं , पर अंत में ढूढ़ते सभी सुकून ही हैं ....मसलन कम कमाई  , पारिवारिक  कलह  , रोज-रोज की भाग दौड़ भरी जिंदगी से उकताहट , कैरियर में आगे बढने की होड़ , विलासी जीवन जीने की चाह , बच्चों के भविष्य की चिंता , जीवन में प्यार  और अपनेपन का अभाव , शारीरिक से ज्यादा मानसिक थकान , अनजाना तनाव  और यहाँ तक की लम्बी चौड़ी कमाई और नौकर की फ़ौज रखने वालो को भी इसी एक अमूर्त वस्तु  की तलाश है ....ईमानदारी से सोचियेगा ... इस फेहरिस्त में कहीं न कहीं आप अपने को भी पाएंगे.....अपने विचारों से अवगत कराईयेगा, शायद मेल खा जाएँ .....मेल न भी हो तो बातचीत से ही सुकून  मिलेगा  और शायद हमारी सुकून की इसी चाह ने वर्तमान समय में इन्टरनेट पर मोटिवेशनल स्पीच  , टी.वी. और यु ट्यूब पर धर्मगुरूओ के प्रवचन , जगह - जगह पर सत्संग के आयोजन , लाफ्टर क्लब , काऊंसलर की दुकानदारी और दिमाग को शांत रखने वाली दवाओ के बाज़ार और देश - विदेश मे

पीयर - प्रेशर

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  प्यार भरा नमस्कार दोस्तों , 'किशोरावस्था की अपनी पोस्ट की दलीलों को ' PEER PRESSURE ' पोस्ट के सहयोग से आगे बढ़ाऊँ और बच्चो के  गलत रास्तो पर जाने की वजह भी स्पष्ट करूं.....ऐसा   मेरे कई पुराने छात्र .....(जो इस बात कोस्वीकार करते हैं कि बहुत हद तक ये ' PEER PRESSURE ' ही था ,जो उनकी छवि को धूमिल कर गया था  और उनके जीवन के कुछ समय को अँधेरे की गर्त में ले गया थ) ने सुझाव दिया ...  संजीदगी से इस मुद्दे पर अपनी बात रखना चाहूंगी ....आप भी सोच ईमानदार रखियेगा क्योकि तभी आप अपने समय को ठीक ठीक याद करके वर्तमान परिपेक्ष्य से जुड़ पाएंगे ..... 'PEER' मतलब संगी-साथी ...जिनकी हमें हर उम्र में दरकार है ..... देखिये ना तभी तो आजकल बुजुर्गों को  'OLD AGE - HOME ' में संग-साथ और स्वस्थ वातावरण में समय बिताने के लिए भेजा जाता है .... हाँ तो हम सभी की तरह या शायद सबसे ज्यादा किशोरों को संग-साथ की /दोस्तों की जरूरत है ....क्योकि उम्र के जिस दौर और बदलावों के जिस तूफ़ान से वो गुजर रहे होते हैं , उन्हें तलाश होती है किसी ऐसे की जो उसी अवस्था , स्तिथि या बदलाव का

मेरी कलम से

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प्यार भरा नमस्कार दोस्तों , चलिए आज कुछ अलग  बात करते हैं ...आज अपनी लिखी कुछ गज़लें आपके साथ साझा कर रही हूँ ... पसंद आये तो दाद भेजिएगा .....न आये तो आपकी सलाह का भी इन्तजार रहेगा ....आपका किसी भी तरह का जवाब आपसे बने रिश्ते की बानगी ही होगा ...                                                ' असर ' ' सोहबतें शख्सियतों पर करती हैं असर , माँ -बाप के साथ थे , थे अल्हड़ बेफिकर सोहबतें  शख्सियतों  पर करती हैं असर, यारों के साथ थे , थे नाशुकरे  मस्तकलंदर सोहबतें शख्सियतों पर करती हैं असर, जब से तेरे साथ हैं ,अलेहदा फिरतें हैं  दर बदर न इतने ऐब निकाल मुझमें  तू , दुनिया कहती है कि सब तेरी ही , सोहबत का है असर ' .                                                                           *****************************                                         ' दिसम्बर ' 'दिसम्बर आ गया है            मोमबत्तियाँ  खरीद ली हैं चलो फिर से चलें        पुरानी  निर्भया  को याद करने नई निर्भ्याओ की लुटी असमत  का मातम मनानें दिसम्बर आ गया है        

किशोरावस्था (टीनेज )

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प्यार भरा नमस्कार दोस्तों , इस विषय पर लिखने के लिए मेरी प्रिय मित्रों में से एक ने कहा , शायद मेरी मित्र को लगा कि मैं इस विषय से इंसाफ कर पाऊंगी ..... इस विश्वास के लिए दिल से शुक्रिया ..... अपने २२ साला शिक्षण करियर के दौरान लगभग हर तरह के बच्चो , छोटो  से लेकर किशोरों तक से बराबर संपर्क रहा या सही कहूँ तो ( शुरुआती ५-७ सालों  को छोड़ कर )किशोरों  (टीन-एजर्स ) से ज्यादा सामना हुआ . " तूफानी उम्र " कहलाती है ये , बच्चो की गति से ज्यादा उनमे होने वाले विविध ,विचित्र एवं तीव्र बदलावों की वजह से ...... कितना मुश्किल होता है तूफ़ान का सामना ..... ईमानदारी से विचार करियेगा...क्योंकि ईमानदार सही सोच  ही  ठीक - ठीक समझने में मदद करेगी और याद दिलाएगी झंझावातों से भरा वो दौर  जिससे  या तो आप निकल चुके हैं या निकल रहे हैं... मानसिक , शारीरिक , भावनात्मक , सामाजिक और पारिवारिक बदलावों का वो समय जब अपने स्वयं से ही द्वन्द है ... ..मानसिक बदलाव प्राकृतिक रूप से बड़ा या छोटा होने के सामंजस्य में लगा देता है , शरीर अपने नैसर्गिक बदलावों  से विस्मृत करता है , भावनायें विपरीत लिंग के

टीचर

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प्यार भरा नमस्कार दोस्तों , मेरी बहुत सी प्यारी , करीबी और पुरानी स्टूडेंट्स में से एक है वो .. पर उसका चुलबुलापन उसकी खास पहचान है ..बहुत लम्बे समय तक उसकी टीचर नहीं रही , पर दिल के तार बहुत दूर से भी रिश्ता बनाये हुए हैं ...कल जब उसने फोन पर अपनी खिलखिलाती और अपनेपन से भरी आवाज़ में मेरी पोस्ट को सराहा तो दिल बाग-बाग हो गया . हमेशा की तरह हमने पुराने दिनों का जिक्र छेड़ा और उसने फिर एक बार स्कूल लाइफ के अपने खट्टे - मीठे  अनुभवों  और अच्छे - बुरे टीचर को याद किया ...और मुझे एक बड़े प्रशन चिन्ह और इस पोस्ट को लिखने की प्रेरणा के साथ छोड़ दिया .... . कितना गहरा और शायद अंतहीन प्रभाव होता है एक गुरु का किसी भी शिष्य के जीवन पर  ...सही कहा भी गया है कि गुरु उस कुम्हार के समान है जो कच्ची मिटटी को आकार देता और पकाता है , और ये भी सही है कि छात्र के व्यक्तित्व निर्माण में सिर्फ एक ही गुरु का हाथ नहीं होता ... लेकिन ये भी कहना गलत नहीं होगा कि एक आदर्श गुरु का सापेक्ष और एक बुरे गुरु का निरपेक्ष प्रभाव बालक के अंतर्मन में सदैव ही रहता है ... कौन हैं  ये आदर्श गुरु ??? ...शायद वो जो इस

जिम्मेदारी

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नमस्कार नहीं बस  प्यार दोस्तों , मेरी एक घनिष्ठ मित्र ने मेरी पोस्ट पर जब तारीफ के साथ मुझे निरंतरता बनाये रखने और  जिम्मेदारी निभाने का एहसास कराया तो ख़ुशी हुयी ,मुझ पर उनके भरोसे को देखकर .... दिल से शुक्रिया . बड़ा ही आम शब्द है 'जिम्मेदारी' ...जिसको हम दूसरों के लिए बड़े ही कॉन्फिडेंस के साथ इस्तेमाल करते हैं ...मसलन - " तुम्हारी भी कोई जिम्मेदारी है की सब हम ही करे , कुछ जिम्मेदार बनो कितने बड़े हो गए हो/ हो गयी हो  , हद हो गयी यहाँ तो किसी की कोई जिम्मेदारी ही नहीं है , .........इत्यादि इत्यादि . क्या है जिम्मेदारी ? कैसे और कहाँ से आती है ? क्या सब अपने हिस्से की निभा रहे हैं ? क्या दुसरो की नज़र में भी हम जिम्मेदार हैं (क्योकि अपनी नज़र में तो बस हम ही जिम्मेदार हैं ) . मेरे लिए जिम्मेदारी वैसे तो एक INBUILT FEATURE है , पर इसको बाहरी परिस्थितियों और जरूरतों के हिसाब से अपनाया भी जा सकता है (इच्छा होने पर ) लेकिन जिम्मेदारी के साथ जो कदम से कदम मिला कर चलती है या कहे की उसकी परछाई है वो है जवाबदारी .... यकीं मानिये ये एक रस्सी के दो सिरे हैं . माँ का बच्चे