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Showing posts from August, 2017

लानत है...

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प्यार भरा नमस्कार दोस्तों , कुछ लानतें भेज रही हूँ , हर उस बात के लिए जिसने हमारे समाज को शर्मिंदा किया है ...वो बातें जो हमारे मतलबी , दिखावटी , ढोंगी और गैर-जिम्मेदार होने के सबूत हैं ... हमारे असंवेदनशील होने का प्रमाण हैं .. ' ' लानत है ....... किसी की मजबूरी का अपने फायदे में इस्तेमाल करने वाले , शख्स के ....इंसान होने पर लानत है .... धर्म , जाति के नाम और  इंसानों की मौत पर सियासत करने वाले ,नेता के ....ओहदे पर लानत है ...  पैसे और जल्दी नाम कमाने के लिए मरीजों से खिलवाड़ करने वाले ,डाक्टर के ...पेशे पर लानत है .... झूठे गवाह ,दस्तावेजों में फेर-बदल कर गलत को सही साबित करने , वकील के .... नाम पर लानत है .... गरीबों को सड़क पर कुचल कर भी सजा न पाने वाले , सुपर स्टार की ....शोहरत पर लानत है ... स्कूल में ना पढाकर , जबरन कोचिंग बुलाकर पैसे कमाने वाले , टीचर की ... मंशा पर लानत है ... ससुराल से पैसों की मदद और उपहारों की मांग करके उनकी नुमाइश करने वाले , लड़के की ....मर्दानगी पर लानत है .... किसी की आस्था और विश्वास का सहारा लेकर उसे अन्धविश्वास में

धर्म या अधर्म (आप बताएं )

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प्यार भरा नमस्कार दोस्तों, हाहाकार मचा है देश में ....धर्म की लकीर बीच में है ...एक ओर हैं धर्म के नाम पर व्यापार चलाने वाले बाबा के अन्धविश्वासी अराजक भक्त हैं ...तो दूसरी ओर हैं वो लोग जो वास्तविकता और विकास के पक्षधर हैं . मैं यदि नास्तिक नहीं हूँ तो बहुत नेम-धरम वाली आस्तिक भी नहीं कहलाई जा सकती ... मैं मंदिर नहीं जाती , पूजा भी ठीक से नहीं करना जानती , मैं व्रत भी गिने - चुने और अपनी सुविधा से ही करती हूँ . मैं किसी मामले में आदर्श महिला नहीं हूँ .लेकिन मैं अपना काम पूजा की तरह ही करती हूँ , मैं किसी क्लब या किटी की सदस्या भी नहीं हूँ ( अक्सर ऐसे सदस्यों को मैंने सामाजिक रूप से अति दानशील और अख़बारों की सुर्ख़ियों में , फोटोज में देखा है पर निजी जीवन में घरेलू नौकरों या इनके प्रतिष्ठानों में काम करने वालों के प्रति ये असंवेदनशील और शोषण का ही भाव रखतें हैं / ये सब पर लागू नहीं होता है  ) यक़ीनन मैं अपने पर इस बात का गर्व कर सकती हूँ कि मैं किसी का दिल नहीं दुखाती और किसी को दुखी देखकर मेरा मन दुखता है , मैं भजन - आरती नहीं गाती ( वैसे मैं जानती हूँ और कीर्तन में गाती भी हूँ

MOBILE (Addiction)

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प्यार भरा नमस्कार दोस्तों , मेरी एक अजीज़ मित्र ने आज अपने मोबाइल फोन से मेरे मोबाइल फोन पर इन्टरनेट के माध्यम से ये सन्देश दिया कि मुझे मोबाइल के बारें में भी एक पोस्ट डालनी चाहिए ...सबसे पहले तो मुझ पर भरोसा करने के लिए उनका दिल से शुक्रिया करना चाहूंगी...आखिर ये उनकी प्रेरणा ही थी कि मैं इस विषय के बारें में अपने विचारों को इक्टठा करके शब्दों के ताने - बाने बुनने लगी ... पिछले दिनों पहाड़ों पर परिवार के साथ घूमने जाने का अवसर मिला ...ऊँचें - नीचे रास्तों और वादियों में चहल-कदमी करना हमेंशा से लुभावना रहा है ..पर थकान भरा भी है ये ...ऐसे में जब परिवार का एक सदस्य सरदर्द के कारण हमारे साथ नहीं आया तो उसका हाल-चाल पूछने में मोबाइल का इस्तेमाल ही लम्बी चढ़ाई से बचने का एक उत्तम साधन बना , ट्रेन यात्रा के दौरान भी जब नेटवर्क की अनुपलब्धता के कारण अपने बेटे को गाड़ी के देरी से चलने के कारण समय से अवगत करने में असमर्थ महसूस कर रही थी... तब इन्टरनेट के माध्यम से सन्देश छोड़ दिया था और वो व्यर्थ परेशान  होने से बच गया था, करीब ५-६ साल पहले की बात हो गयी लगती है जब मेरे पडोसी के बेटे का आधी र

यादें ( जिन्दगी के साथ भी और बाद भी )

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प्यार भरा नमस्कार दोस्तों , अरसा हुआ मायका छोड़े ...सालों हुए सबसे दूर हुए ...पर कुछ है जो कसकता है ... ' मेरा मायका ' मेरी यादें ....आपके साथ साझा कर रही हूँ '' वो जो एक दरख़्त था पीपल का बहुत बड़ा और घना , मेरे नैहर की बंद गली के अहाते में ...अब नही रहा ! वो बड़ा घना दरख़्त पीपल का ,जो था आशियाना ढेरों परिंदों का ...वो परिंदे जो दादी की थाली लगते ही ,आंगन में उसे घेर लेते थे ...वो दादी जो रात को सोने का नाटक करने पर भी जबरन आँखों में घर का बना काजल डाल ही देती थी ऊँगली से ...वो दादी भी अब नही रही ...और दादी के वो परिंदे भी कहीं दूर किसी आशियाने का रुख कर गए वो बड़ा घना दरख़्त पीपल का , जो देता था छावं गली के धोबी और फेरी वालों को ...वो धोबी जो अपनी विरासत , पुरानी   मेज़ और इस्त्री पीतल की , अपने वारिस को देकर चला गया खुदा के पास अपने ... वो बड़ा घना दरख़्त पीपल का जो देता था सुकून से लबरेज़ हवा रात को छत के बिस्तर पर ..और बिस्तर जिस पर पड़ते ही नींद चादर की मानिंद ढक लेती थी...वो नींद भी अब नहीं रही वो बड़ा घना दरख़्त पीपल का , जिसपे डलता था झूला ,सावन का और देते थे

OXYGEN ( MY FOOT)

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प्यार भरा नमस्कार दोस्तों , दिल बहुत दुःख रहा है ...साँस भी घुट रही है , सिर्फ सुनकर कि देश में साठ बच्चे पैसों , व्यापार या फिर जो कुछ भी आप नाम देना चाहें ..उसकी बलि चढ़ गए ...सिर्फ सुनकर दिल बैठ जाता है ...जब उन्होंने प्राण त्यागे होंगे तो वो कितना तड़पे होंगे ...... ईमानदारी से सोचियेगा.... क्योकि ये कभी न भूलने वाला दर्द है ...ये माँ के जिगर के टुकड़े और बाप के सपनों का खून हुआ है  ....ये इंसानियत का खून हुआ है .                                                         ' आक्सीजन त्रासदी '   नौ महीने सींच खून से , जन्म उन्हें दिया होगा      सोचो ! उन साठ नौनिहालों को माओं ने कैसे दफन किया होगा ? उनकी किलकारी ने उनके आंगन को , महकाया होगा      क्या बीती होगी माओं पर ,जब मृत देह को उठाया होगा ? निरोगी रखने उसकी काया , वो अस्पताल लाया होगा       कैसे उस काया को , बाप ने मिट्टी में मिलाया होगा ? स्वार्थ , कपट और राजनीति ने , नंगा नाच नचाया होगा      खाली झोली में चंद सिक्कों से , चीखों को सिसकी में बदलवाया होगा . अश्रुपूरित श्रद्धांजलि उन नन्हों के नाम जो शायद OX

It's O.K.

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'' अरे यार ! गाड़ी ठीक से लगा दे , दूसरी गाड़ियाँ कैसे निकलेंगी "? ...." अरे भाई आप अपना सामान थोडा एडजस्ट कर लीजिये गाड़ी में दूसरी सवारियों को दिक्कत होगी " . ...." सुनिए ! कचरा डिब्बे में डाल दीजिये , यहाँ फालतू में गन्दगी फैलेगी '' . ....." मैडम ! बच्चा ठीक से पढ़ नहीं रहा थोडा ध्यान रखिये ना ''! ...." ये खाना बासी है , बुढ्हो को तो नुकसान करेगा ". ...." अरे यहाँ क्यों थूक दिया , पूरी दीवार गन्दी कर दी ''. ....'' भाईसाहब लाइन में आ जाइये , बाकि लोग भी काफी देर से खड़े हैं ". ..." बेटा पढाई पर ध्यान दो तुम्हारा रिजल्ट बिगड़ता जा रहा है ''. ....'' मैडम देखिये ना आपके बच्चे पडोसी के सामान का नुकसान कर रहे हैं ''...." सर !आपका चपरासी बीमार है उससे इतना काम नहीं हो पायेगा ''. '' कचरा मत डालिए नाली चोक हो जाएगी ''. '' आवाज़ कम कर लीजिये इतना जोर से डी. जे . बजायेंगे तो आस-पास वालो का क्या हाल होगा ''.  '' कम खाना परोसिये , क्

हम (eves / females) part 2

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प्यार भरा नमस्कार दोस्तों, बहुत अच्छा लगा जब आप शुभ-चिंतकों में से दो ने महिलाओं पर लिखी मेरी पोस्ट को निर्णायक (judgemental) और एकतरफा (one-sided) बताया....यकीं  मानिये अपने विचारों को और विस्तार देने और हम सबको दुसरे दृष्टिकोण से भी देखने की प्रेरणा मिली ....दिल से शुक्रिया ...इसी तरह साथ बनाये रखिये ...हम सबको इसकी जरूरत है ... जहाँ तक मेरा मानना है अपनी पोस्ट को मैंने महिला वर्ग को सिर्फ चुगलखोर या बकवादी ही नहीं माना है ...मेरा खुद का अनुभव उनके इस  रुझान को दर्शाता है ,  और मैं ये भी कतई नहीं मानती की पुरुष पूरी तरह से इस आदत से बेलाग हैं...उन्हें भी अनर्गल चर्चाओं में शामिल देखा जा सकता है ...इसीलिए अपवादों से अपने आपको  परे रखने की गुजारिश की थी ... तो चलिए बात आगे बढ़ाते हैं...कि आखिर महिलाओं पर ही ये आक्षेप क्यों ? या कहिये कि उन्हें ही इस आदत का धनी क्यों माना जाता है ? शायद इसलिए की उन्हें आगे बढ़ने के मौके कम दिए जाते रहे , उन्हें घर की चार-दिवारी में परिवार , समाज और  जिम्मेदारियों का वास्ता देकर रोके रखा जाता रहा ,,,जिससे उनके अंदर की हसरतें (wishes), कौशल ( skills),

हम ( eves / females)

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प्यार भरा नमस्कार दोस्तों , आज यूँ हीं मन हुआ अपनी जमात यानि महिलाओं / औरतों (इंग्लिश में बोलें तो )लेडिजो के बारे में बात करने का .... वैसे ये हम महिलायें ही कर भी सकती हैं , क्योकि इस एक ख़ास हुनर से ऊपरवाले ने मर्दों को नही नवाज़ा है.. 'बतरस 'में और वो भी चुगली या इसकी - उसकी करने में जो मज़ा और अलौकिक आनंद स्त्रीवर्ग को मिलता है उससे ये पुरुषवर्ग सर्वथा ही अनभिज्ञ है .... ईमानदारी से सोचियेगा क्योकि जो महिलायें हैं.. वो तो स्वयं प्रत्यक्ष प्रमाण हैं और जो पुरुष हैं.. वो यक़ीनन चश्मदीद गवाह हैं ...और यदि ये स्त्रियों पर ईश्वर की विशेष अनुकम्पा हैं ,तो स्वीकारने में संकोच  कैसा ... वैसे भी पुरुष अपनी प्रजाति में कम और महिला वर्ग में ज्यादा रूचि रखते हैं और महिलाएं भी तो सिर्फ अपनी जाति (महिलाओं) को ही चर्चा का उपयुक्त विषय मानती हैं, (अपवाद हर वर्ग और प्रजाति में होतें  हैं ,सो कृपया इस चर्चा को व्यक्तिगत न समझें ).     हाँ तो मेरा मानना है कि ये ढेरों बातें करने की हमारी विशेषज्ञता हमारे लिए कितनी लाभप्रद है ,हम गौर नहीं करतीं ....इस बात से कतई इंकार नहीं की हम सब को भगवा

दोस्ती

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प्यार भरा नमस्कार दोस्तों , अगस्त का पहला इतवार यानि दोस्ती का त्यौहार , हर माध्यम से दोस्ती के संदेशो का आदान - प्रदान ....हर किसी दुसरे खास दिन की तरह ये दिन भी मन को प्रफ्फुलित कर देता है .... दोस्ती ' एक ऐसा रिश्ता जिसमे किस्मत , कानून या खून का दखल नहीं होता ' किस्मत से हमें घर- परिवार माँ-बाप मिलतें हैं , कानून से हमें पति-पत्नी और ससुराल के रिश्ते मिलतें हैं और खून से हमें भाई-बहन मिलते हैं ...काफी हद तक इनसे हमारा रिश्ता बहुत गहरा होता है ....पर दोस्ती , रिश्तों का शायद एक अलग ही आयाम है ...दोस्त हम खुद चुनते हैं, बनाते हैं और अपनी ही चाहतों और इच्छा से इस रिश्ते को निभाते हैं ,इसमें दिल का अहम किरदार होता है ...कभी-कभी घर वालों के खिलाफ जाकर ,कभी -कभी सामाजिक दायरों के बाहर जाकर भी .....पर दोस्ती जिस उम्र , दौर या अवस्था में हो. है बड़ी प्यारी चीज़ ....पर शर्त ये है की ईमानदार और वफादार भी हो '' जो है मन से पवित्र , वो ही सच्चा मित्र '' ...यूँ  तो आज के समय में लगभग  हम सभी के पास दोस्तों की एक लम्बी फेहरिस्त है ...पर कुछ से हम मतलब से जुड़े हैं और कुछ

उम्मीद

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प्यार भरा नमस्कार दोस्तों , आज जब ब्लॉग खोला तो देखा की आपके और मेरे बीच विचारों का ताना बाना थोड़ा ढीला पड़ गया है...या ये कहिये कि मेरे जज़्बात आपकी उम्मीद पर खरे नहीं उतर रहे हैं ...तभी शायद आपका स्नेह नहीं मिल पा रहा ...या ये कहिये मेरी उम्मीदें ज्यादा थीं .... उम्मीद या अपेक्षा शायद है ही ऐसी चीज़ जो हमें अपनी तरफ से सही और जायज़ मालूम होती है लेकिन जब दूसरी तरफ से आती है तो कई बार हम इसे नाजायज़ और गैरजरूरी मानते हैं ....किसी की हमसे अपेक्षा हमें दबाव या मजबूरी लगती है जबकि हमारा किसी से कुछ भी चाहना हमेशा ही पूरी तरह न्यायोचित होता है ......ईमानदारी से सोचियेगा तभी अपनी दुसरो से और दूसरों की आपसे की  जाने वाली  उम्मीदों के अंतर और उनको पूरा होने पर होने वाली ख़ुशी और पूरा न होने पर होने वाली खिसियाहट को समझ पाएंगे ..... उम्मीद की माँ-बाप सारी  ख्वाहिशे पूरी कर दें ....उम्मीद की बच्चे सारे सपने साकार कर दें ...उम्मीद की प्रेमी सितारे तोड़ कर ला दे ....उम्मीद की प्रेमिका सारे बंधन तोड़ दे ...उम्मीद की बहु का आना घर भर दे ...उम्मीद की ससुराल वाले हाथो-हाथ रखें  ...उम्मीद की बच्चे का