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Showing posts from September, 2017

माहवारी ( एक कष्ट-चक्र )

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प्यार भरा नमस्कार दोस्तों ,  सबसे पहले तो आभार प्रकट करना चाहूंगी ,अपनी घनिष्ठ मित्र का जिन्होंने whatsapp पर ये पोस्ट मुझसे शेयर किया और  कृतज्ञता जाहिर करना चाहूंगी ,जो उन्होंने मुझे इस विषय पर अपने शब्दों में कुछ लिखने को कहा . ..विषय से न्याय करने की पूरी कोशिश रहेगी . सच कहूं तो सबसे पहले मुझे इस बात की ग्लानि हो रही थी कि इतनी सारी बातों  के बीच में मेरा खुद का ध्यान स्त्रियों की इस दुखद समस्या पर क्यों नहीं गया ..... माहवारी / मासिक धर्म ..हर स्त्री के जीवन में घटित होने वाली नैसर्गिक प्रक्रिया ..सही कहा जाये तो प्रकृति के उन कष्टदायक उपहारों में से एक ,जो सिर्फ स्त्रियों को ही बांटे गए हैं...इसका वर्ग , धर्म ,जात-पात को लेकर कोई विभाजन नहीं है ...पर कितना भयावह है इस मासिक चक्र का हर महीने ४-५ दिन सामना करना विशेषकर उनके लिए जो दो वक़्त के खाने तो क्या ठीक से तन ढकने लायक कपड़ों के भी मोहताज़ हैं . दो बार घर पर काम करने वाली और मजदूरी करने वाली दो महिलाओं से जब सूती साडी देने पर नकारात्मक प्रतिक्रिया मिली तो मैंने भी मान लिया कि सूती धोती इनके काम , रहन - सहन और रख-रखाव से

साक्षर या शिक्षित

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प्यार भरा नमस्कार दोस्तों , आज न्यूज़ पेपर में साक्षरता के बारें में पढ़ते-पढ़ते अनायास ही मन में एक सवाल कौंधा ....कि क्या अंतर है साक्षर और शिक्षित होने में ...आप में से यक़ीनन बहुत से लोग मेरी बात का अर्थ समझ गए होंगे ...जी हाँ ..हम साक्षरता का प्रतिशत तो बढ़ा रहें हैं पर क्या शिक्षितों की श्रेणी में आ रहे हैं ?????????? अंतर बड़ा है.... और इसे पाट पाना ही असल जीत है ...मेरे अधीनस्थ कर्मचारियों में कुछ चतुर्थ श्रेणी (4th class) भी साक्षर हैं ...और कुछ जो बेहतर ओहदों पर हैं वो साक्षर होकर भी निरक्षर समान ही कोरे कागज़ हैं ... सही समझे आप अपनी तनख्वाह या दैनिक मजदूरी कहीं पर अपना हस्ताक्षर बनाकर (या नाम ही लिखकर) लेने वाले को हम पढ़ा-लिखा (साक्षर) मानते हैं ...कुछ बेहतर सडकों पर लगे फ्लेक्स , दुकानों के बोर्ड , न्यूज़ पेपर की हैडलाइन आदि भी पढ़ लेतें हैं ...पर इनमे से ज्यादातर अपने नियोक्ता (employer) द्वारा बेवकूफ बना लिए जातें हैं ...या नेताओं द्वारा चुनावों में बरगला दिए जातें हैं ...या कार्य स्थलों पर शोषित (शारीरिक ही नहीं , क्योकिं वो तो शिक्षित भी हो जातें है ) किये जाते हैं ...य

छाप

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प्यार भरा नमस्कार दोस्तों ,  कुछ दिन से आपसे बात नही हुयी , आप भी कुछ बेजार से रहे ...फिर आज मैंने सोचा कि बातचीत जारी रहनी चाहिए ..यूँ भी कहा जाता है कि बातचीत हर समस्या का समाधान है और चुप्पी रिश्तों का खात्मा ...और आपसे तो बहुत सी बातें करनी हैं आप जवाब नहीं भी देंगे तो क्या ...सुनेगें तो सही ना ..वो भी काफी है मन हल्का करने के लिए ...मेरी कोई न कोई बात तो आपके मन पर अपनी छाप छोड़ ही जाएगी ..बस साथ रहिएगा क्योंकि उसकी हम सब को जरूरत है ... छाप से याद आया की हम यानि इस विशाल देश के स्वतंत्र नागरिक छाप छोड़ने में बहुत माहिर हैं ...कुछ उदाहरनो से अपनी बात को पुख्ता करना चाहूंगी ...किसी भी ऐतिहासिक या नव निर्मित इमारत को देखिये अपना नाम खोदकर या पान थूककर या इश्तेहार चिपकाकर या भद्दे कमेंट लिखकर ....कचरे के डिब्बे के बाहर कचरा फेंककर , उसके आस-पास थूककर ....थिएटर , ट्रेन , बस , स्कूल आदि आदि की सीट के नीचे कागज़,छिलके इत्यादि फेंककर...अपनी पवित्र पूजनीय नदियों में कचरा , मूर्तियाँ , लाश , जूठन और भी जाने क्या-क्या बहाकर ..या कहिये की जहाँ कहीं भी हम होते हैं या जाते हैं अपनी छाप छोड़

narration (कहानी आम जिंदगी की )

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एक सवाल (पुरुषों से )

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प्यार भरा नमस्कार दोस्तों , news report  13/9/17 :- ' कौशाम्बी में आठ साल की छात्रा  को बलात्कार के बाद जिन्दा जलाया ' एक सवाल - धर्म के ठेकेदारों , राजनीतिज्ञों , धर्माधिकारियों , समाज सुधारकों , सामाजिक संगठनों / दलों के नुमाइन्दों , नियम कानून और संस्कृति के रखवालों से , ना  तो अभी कपड़े पहने होंगे छोटे और तंग , ना अभी किया होगा बॉय फ्रेंड का संग , ना अभी आधुनिकता का चढ़ा होगा रंग , न ही पाश्चात्य संस्कृति के अपनाये होंगे ढंग , फिर हे श्रेष्ठ , आदर्श , ज्ञानी , सर्वज्ञ , सभ्य , सुसंस्कृत , धर्म परायण पुरुषों कृपया इस प्रश्न का दें हल कि  '' ऐसा क्या किया होगा आठ साल की बालिका न जिससे बलात्कारी की इच्छाओं को मिला होगा  बल ''?????? निश्चित ही अब एक नया लांछन लगाया जायेगा ...कन्या रूप में योनि के साथ जन्म लेना ही इसका कारण बताया जायेगा ! स्त्री जननी है , मकान को घर बनाती है , अपने खून ( दूध ) से सींचकर बालक को समाज का नागरिक बनाती है, सफल पुरुष के पीछे महिला का हाथ होता है ....एक विशेष बात और ...औरत कमजोर , नीच , घिनौने , नामर्द , दुष्कर्मी पुरु

सारा रा रा

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प्यार भरा नमस्कार दोस्तों ,  एक छोटी सी कोशिश की है आपके जज्बातों को जगाने , देश की वर्तमान स्तिथी दिखाने और आपको अपने एक अलग प्रयास से जोड़ने की ....शायद आप पसंद करें ...आपके जवाब या अभिव्यक्ति का इन्तजार रहेगा ...  ''एक महिला को मिला है देश की रक्षा मंत्री का पद , ये है स्त्री जाति की सबला होने की हद . सिर्फ स्त्री के ही होते हैं नौ नौ अवतार , पुरूषों ज़ागो , आदर करो ,करो इनसे सदव्यवहार l जोगीरा सारा रारा .... गुन्दागर्दी तो ना हुई कम , कम हुए गौमांस भोगी , मजनुओं में दहशत है ,जब से आये योगी . चुनाव पूर्व थी खुद जिनकी भाषा भद्दी , धुआधार कानून बनाकर ,बचा रहे अब गद्दी l जोगीरा सारा रारा ... राम - रहीम हो , या हो आशा- राम  जनता ने कर दिया ,सबका काम तमाम , बापों को तो मिल गया , पूरा पूरा ग्यान अब माँ पर भी चाहिए , न्यायालय का ध्यान जोगीरा सारा रारा .... खूब सुनाये भाषण , खूब दिखाया नाच बड़े उत्साह से मनाया , शिक्षक दिवस आज , कल कक्षा में फिर , दिखायेंगे अपने रंग शिक्षकों का चूर करेंगे सारा घमंड जोगीरा सारा रारा ... बाबाओं की भर दी झोली खाली ,  अपनी

बचपन ( यादों का गलियारा )

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प्यार भरा नमस्कार दोस्तों , अपना बचपन साझा कर रही हूँ आज आपके साथ ....देखते हैं कहीं दिल के तार और ज़ज्बात जुड़ते हैं क्या हमारे बीच...                                     ' बचपन '  बचपन  गुजर जाता है , नही बीत जाता है ...... गुजर तो माँ बाप जाते हैं , वो लौट के जो नही आते हैं बचपन तो जाता ही नही है , अक्सर ही झांकता है मन के उस कोने से , ज़िसे हम उम्र के परदे से ढक कर रखते हैं बचपन झांकता है , गली के बच्चो के शोर से, गिफ्ट की दुकान से , रंग बिरंगे खिलौनो से छोटी क्लास की किताबों से , राखी के धागो से आकाश में उड़ती पतंगों से , पुरानी फोटो अलबम से बचपन मेरा भी था ...बचपन मुझमें अभी भी ज़िंदा है सालता है , दुलारता है , रूलाता और पूचकारता भी है भाई की फ़ोन कॉल से , पुरानी चिटठीयों के अक्षरों से बेटे के मुझे माँ कहने से , माँ की दी आदतों से , पापा की पुरानी घडी से ...मेरा बचपन ... जो बीत गया है सालों पहले.... Boost post

आवरण / कवच

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प्यार भरा नमस्कार दोस्तों ,  इस बड़ी सी दुनिया में लम्बा अरसा गुजारने, बहुत सी जिम्मेदारियां सँभालने और ऊंची - ऊंची पदवियां हासिल करने के बावजूद भी माँ-बाप की नज़र में हम और हमारा वजूद छोटे बच्चे जैसा ही रहता है.... कितना कुछ है जो हम उनसे कभी न पूछते हैं और ना वो हम पर जाहिर करते हैं ...वो एक छाया की तरह हैं या कि एक खोल... जो हमे ढक लेता है ...आराम देता है ...उसके हटने और बाहर की तपन , चुभन और दिक्कतों से सामना होने पर ही उस (आवरण / कवच) की कमी का एहसास और जरूरत समझ आती है ...माँ-पापा के नाम चंद लाइने मेरी कलम से ....                                           'मरीज़ माँ ' ''माँ मरीज़ थी मेरी ......अपने या मेरे बचपन से ....नहीं पता माँ मरीज़ थी ...बाज़ार नही जाती थी , घर के कामों में ही सर खपाती थी माँ मरीज़ थी ...पर घर कांच सा चमकती थी और मुझे अपने हाथ के सिये कपड़े पहनाती थी माँ मरीज़ थी ...रात -रात को उठकर लम्बी सांस को तरसती और अपनी उखड़ती सांसो को बांधने की  जद्दोजहद में लगी रहती थी.... माँ दिल की मरीज़ थी ... दिल पहले मरीज़ हुआ या माँ ...नहीं पता माँ दिल की मर

SELFIE ' जरूरत या जूनून '

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प्यार भरा नमस्कार दोस्तों , आज जब आप लोगों की तरफ से मिलने वाली तवज्जो को जांचा तो लगा कि शायद कहीं कुछ है जो आपकी उम्मीदों पर पूरा नहीं उतर रहा ....या कि आपके मन-मुताबिक नहीं है ...फिर सोचा बातचीत जारी रखतें हैं , कभी , कहीं , कोई बात तो जरूर आपकी पसंद पर पूरी उतरेगी ... आज के दौर में जब आपसे जुड़ने का साधन भी ये इन्टरनेट और मोबाइल फोन ही है, तो इस मोबाइल की खासियतों में से सबसे ज्यादा नाम कमाने वाली एक खासियत ' सेल्फी ' की बात करते हैं ...आज टी.वी . पर अपने एक केन्द्रीय मंत्री को जनता से अपनी सुरक्षा और परिवार के नाम पर इस 'सेल्फी के बुखार ' से दूर रहने की अपील करते देख कर फिर एक बार तरस हो आया अपनी प्रजाति पर , अपने देशवासियों के भोलेपन पर जहाँ हर दुसरे दिन अलग-अलग वजहों के लिए मसलन ....हेलमेट लगाने , नदी - नाले साफ़ रखने , कचरा न फ़ैलाने , शौचालय बनवाने , लड़कियों को माँ के पेट में ही ना मरने , खैनी-गुटखा न खाने ,बाल- मजदूरी न कराने , हाथ धोने , साफ़ रहने और आज की ज्वलंत अपील ' सड़कों, नदी, समुद्र . पहाड़ और असुरक्षित जगहों पर 'सेल्फी' न खीचने की गुजारिश

blue whale challenge हिम्मत नहीं बुजदिली ...

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प्यार भरा नमस्कार दोस्तों , आज विशेष तौर पर उन साहसी , जाबांज और एडवेंचरस लोगो से मुखातिब हूँ जो  चुनौतियों का सामना करना दिलेरी का काम समझतें है .. . पर बदकिस्मती से ये चुनौतियाँ ( किसी परोपकार के काम की , किसी गाँव में बाढ़ पीड़ितों की मदद की , किसी अबला की इज्जत बचाने की , किसी पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज़ उठाने या के समाज में कोई सापेक्ष (पॉजिटिव ) बदलाव लाने की  , अपने स्कूल के विषयों पर कोई नया प्रोजेक्ट बनाने की या पब्लिक में माइक पर एक जोरदार भाषण देने की  नहीं हैं ) ... ये हैं माँ -बाप से छुपकर सिगरेट पीने की , किसी लड़की का दोस्तों के कहने पर पीछा करने की , चोरी से मोबाइल पर गन्दी वीडियो देखने की , किसी लड़की का गलत विडियो बना कर उसे ब्लैकमेल करने की , टीचर को धमकाने की , डुप्लीकेट पेपर निकलवाने की , घर से पैसे गायब करने या फिर घर में झूठ बोलकर दोस्तों के साथ मस्ती करने की ..... पर मेरी जानकारी में ये वो लोग हैं जिन्हें बलि का बकरा बनाने के लिए लोग तैयार बैठे हैं , ये वो लोग हैं जो कमजोर हैं , ये वो लोग भी हैं जिन्हें अपने सही-गलत की समझ ही नहीं है , ये वो लोग भी हैं