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Showing posts from May, 2018

फलसफा - ए -जिंदगी

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प्यार भरा नमस्कार दोस्तों , वो कहते हैं , अरे! ठीक है काम तो चल रहा है , सही बात भी है काम कभी नहीं रुकता , रुकता है ‘ मन’ , जी हाँ मन ! ये मन ही तो है जो रूक जाता है और फिर सबको हैरान करता है .....कभी किसी लालच में , कभी किसी के प्यार में , कभी किसी से नफरत में , कभी किसी   सपने में , कभी किसी लालसा में , कभी गुस्से में , और कभी इंतजार या उम्मीद में .... और जनाब एक बार रूका तो फिर जिद पकड़ लेता है , दिमाग की भी नही सुनता . कहते हैं दिल और दिमाग साथ – साथ नही चलते , पर कभी – कभी वो भी एक दूसरे से कदम मिला लेते हैं लेकिन ये जो मन है वो अडियल है ... नहीं नही मन और दिल को एक न समझें ...वो जो दिल और दिमाग को जोड़ता है ना उसी तार के बीच में कहीं अटका होता है मन ...और जैसे ही दिल दिमाग कहीं साथ होने का सोचते हैं ये अपना अलग राग शुरू कर देता है ... दिल ने कहा फलां अच्छा है , दिमाग ने तर्क दिया इसमें क्या अच्छा है ? दिल ने समझाया और अपना पक्ष रखा तो दिमाग ने कसौटी पर कसा , थोडा न- नुकुर के बाद चलो राजी भी हो गया , किन्तु ये क्या ! मन ने कहा ‘’ ना ‘’ ...होगा कोई लाख अच्छा , होंगी

सापेक्षता ( a positive thought )

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प्यार भरा नमस्कार दोस्तों , अजीब कोफ़्त सी होती है और मुझे ही नहीं यकीनन आप में से बहुत से लोगों को मेरे जैसी ही feelings आयी होंगी ...जब आपने भी समाचार पत्र में पढ़ा होगा कि उत्तर प्रदेश सरकार का चुनावी घोषणा पत्र कहता है कि सरकार मंदिर – मठों के जिर्नोद्धार में 500 करोड़ और नौकरियों के क्षेत्र में 250 करोड़ का खर्च करेगी , पूरे 3000 करोड़ का बजट गौ हत्या रोकने का होगा I   मैं पहले भी इस पंक्ति को लिख चुकी हूँ शायद जो मैंने कहीं पढ़ी थी और जिसने मुझे बहुत प्रभावित भी किया था ...         ’’ आप अपने बच्चों को भविष्य के लिए क्या देना चाहेंगे ????? ‘ मंदिर , मस्जिद , चर्च और गुरुद्वारों में सिमटा समाज जो अपने – अपने धर्म और संस्कृति के संरक्षण को सर्वोपरी रखेगा या एक ऐसा समाज जहाँ उन्नत शिक्षा व्यवस्थित विद्यालयों में हो , विकसित स्वास्थ्य सेवाएं हों और रोजगार और व्यापार के पर्याप्त अवसर हों सामाजिक भेद-भाव और विघटन का मार्ग संकुचित हो . सही में एक ऐसा समाज जहाँ नैतिकता और मानवता मुख्य धर्म हों ‘ . आप में से बहुत से लोगों का मुझसे अथवा इस विचार से असहमत होना कोई आश्चर्य की बात

Human Resource (मानव संसाधन )

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प्यार भरा नमस्कार दोस्तों, पिछले दिनों डॉ अब्दुल कलम का एक भाषण youtube पर सुना , जिसकी एक पंक्ति दिल में बैठ सी गयी , जिसका मतलब कुछ यूँ था कि , भारत में हम किसी की योग्यता का उपयोग नहीं करते उसे निचोड़ लेते हैं ! ,.... वैसे ये बात मानव संसाधन का दोहन प्राकृतिक संसाधन से भी अधिक क्रूरता से करने की हमारी मानसिकता को परिलक्षित करती है ...   एक चुटकुले के माध्यम से इस शोषण की प्रवृति की तरफ ध्यान ले जाना चाहूंगी कि... मर कर जब कई लोग यमराज के दरबार में पहुचें तो चित्रगुप्त जी को उनके कर्मों के हिसाब से स्वर्ग नर्क में भेजने का काम सौंपा गया , पहले आदमी ने बताया की वो उद्योगपति था खूब पैसा कमाया जीवन में और दान पुन्य भी किया लेकिन उसकी बात पूरी होने से पहले ही यमराज ने आदेश दिया कि उसे नर्क भेजा जाये क्योंकि स्वर्ग तो उसने धरती पर ही भोग लिया था , दुसरे व्यक्ति ने बताया कि वह किसान था और तीनो फसले उगाता था और अपनी सामर्थ्य के अनुसार गावं के गरीब परिवारों को कुछ अनाज दान देता था , उसे स्वर्ग में भेजा गया ,तीसरा व्यक्ति जो अत्यंत क्षीण और डरा हुआ सा था उसने बताया क्योंकि वो एक