' गीत ' ( मेरी माँ को समर्पित )

प्यार भरा नमस्कार दोस्तों , कुछ सुना रही हूँ ...कोशिश की है ..जज्बातों की लड़ी को शब्दों में ढालकर एक गीत का रूप देने की ... आपकी प्रतिक्रिया का इन्तज़ार रहेगा .... '' मैं ...चाहती हूँ '' *ओस की बूंदों को दामन में भरना चाहती हूँ , नदी की लहरों को बाँहों में समेटना चाहती हूँ , हरियाले रास्तों पे मीलों चलना चाहती हूँ , दुनियादारी से अनजान बनकर ...प्यार करना चाहती हूँ मैं प्यार करना चाहती हूँ .... *पतंग सी मैं बादलों के पार जाना चाहती हूँ , मछली सी पानी में अठखेली करना चाहती हूँ , चांदनी सी चुपचाप पेड़ों पर पसरना चाहती हूँ , कुदरत में घुलकर ...प्यार करना चाहती हूँ मैं प्यार करना चाहती हूँ .... * मतलबों के नातों को ...