माहवारी ( एक कष्ट-चक्र )

प्यार भरा नमस्कार दोस्तों , सबसे पहले तो आभार प्रकट करना चाहूंगी ,अपनी घनिष्ठ मित्र का जिन्होंने whatsapp पर ये पोस्ट मुझसे शेयर किया और कृतज्ञता जाहिर करना चाहूंगी ,जो उन्होंने मुझे इस विषय पर अपने शब्दों में कुछ लिखने को कहा . ..विषय से न्याय करने की पूरी कोशिश रहेगी . सच कहूं तो सबसे पहले मुझे इस बात की ग्लानि हो रही थी कि इतनी सारी बातों के बीच में मेरा खुद का ध्यान स्त्रियों की इस दुखद समस्या पर क्यों नहीं गया ..... माहवारी / मासिक धर्म ..हर स्त्री के जीवन में घटित होने वाली नैसर्गिक प्रक्रिया ..सही कहा जाये तो प्रकृति के उन कष्टदायक उपहारों में से एक ,जो सिर्फ स्त्रियों को ही बांटे गए हैं...इसका वर्ग , धर्म ,जात-पात को लेकर कोई विभाजन नहीं है ...पर कितना भयावह है इस मासिक चक्र का हर महीने ४-५ दिन सामना करना विशेषकर उनके लिए जो दो वक़्त के खाने तो क्या ठीक से तन ढकने लायक कपड़ों के भी मोहताज़ हैं . दो बार घर पर काम करने वाली और मजदूरी करने वाली दो महिलाओं से जब सूती साडी देने पर नकारात्मक प्रतिक्रिया मिली तो मैंने भी मान लिया कि सूती धोती इनके काम , रहन - सहन ...