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                                                                                        ' मन की बात ' प्यार भरा नमस्कार दोस्तों , काफी दिनों से कुछ नहीं लिखा। इसलिए नहीं कि कुछ था ही नहीं लिखने को या किसी भी बात ने मन को झकझोरा नहीं। बल्कि सच तो ये है कि lockdown की नीरवता मन पर भी छाई थी और जब कहीं कोई आहट ना हो तो लगता है कि अब हमारे यहां कौन आएगा। वैसे ही जैसे कि मेरे blogs पर कोई response नहीं था तो लगा कि जाने दो कोई नहीं पढता और अगर नहीं पढता तो या तो उसको मेरी बातें सही नहीं लगतीं या इनमें किसी के पसंद किये जाने लायक मुद्दे नहीं हैं। और हो भी सकता है कि लोगों ने आजकल पढ़ना कम और देखना ज्यादा शुरू कर दिया हो। फिर यकायक मन में आया कि नहीं ये सब मैं किसी की प्रतिक्रिया पाने के लिए नहीं लिखती (वो अलग है कि प्रतिक्रिया साकारत्मक हो तो हमें प्रोत्साहित करती है और नाकारात्मक हो तो सतर्क कर देती है) मैं लिखती हूँ अपने मन को हल्का करने के लिए उस बोझ से जो उन विचारों का होता है जो ख़ुशी से ज्यादा चिंता , कष्ट , खेद या गुस्से का कारण बनते हैं। यूँ भी हरेक का अपना -अपना अभिव्यक्