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Showing posts from December, 2017

लक्ष्मी अथवा सरस्वती ! .... एक बार में एक

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प्यार भरा नमस्कार दोस्तों , आज यूँही बैठे बैठे बचपन की कुछ बातें जो पहले मात्र जिज्ञासा थी और उनकी पारम्परिक व्याख्या अजीब लगती थी अब सही-सही समझ आती हैं ...मसलन कहा जाता था कि ' जितना घना फलदार पेड़ उतना ही झुका हुआ ', या फिर ' जहाँ लक्ष्मी हैं वहां सरस्वती नहीं '. ..पर बचपन में ये बातें confuse करती थीं ... नारियल और पपीता भी तो फलदार है पर झुके हुए तो नहीं , और जो लोग ज्यादा पढ़े डिग्रीधारी हैं वो ही तो ऊंची नौकरी में होते हैं या बड़े व्यापारी होते हैं ..... पर अब लगता है कि ये तो मात्र उपमाएं हैं और '' अपवाद तो हर क्षेत्र में होते ही हैं ' '....अब देखिये फिल्म स्टार तो बहुत हैं लेकिन ' सत्यमेव जयते ' तो एक ने ही बनाया ... या फिर ' नर्मदा आन्दोलन , चिपको आन्दोलन ' आदि भी हर कोई नहीं चलाता ...तो मतलब ये कि हर फलदार पेड़ झुका नहीं होता कुछ तने और अकड़े भी होते हैं , इसी तरह डिग्रीधारी होना न तो ये प्रमाणित करता है कि आप ऊंचे पद के दावेदार हैं और न ही ये की आप पर सच में सरस्वती की कृपा है ... हाँ ये जरूर है कि डिग्रीयों की बहुतायत आपक

PARENTING (एक कला )

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प्यार भरा नमस्कार दोस्तों , जानते हैं आप! हर बार पोस्ट शेयर करने के बाद कई बार कौतुहलवश बार-बार चेक करती हूँ कि फिर किसी शुभचिंतक ने ANONYMUS के नाम से कोई सुझाव या सन्देश तो नहीं  पोस्ट किया ....पर बेकार :(  खैर चलिए आज की बात करते हैं ...आज नयी पीढ़ी के दो लोगों से लम्बी बातचीत हुयी ...एक मेरा बेटा कम फ़ास्ट फ्रेंड और दूसरा मेरा भतीजा जो मुझे बहुत प्यार करता है ..ऐसा उसकी बातचीत के अपनेपन से झलकता है ...ये भगवान का आशीर्वाद ही है कि युवा वर्ग मुझसे अपनी बातें शेयर करने में हिचकता नहीं है ...उनको सुन और समझ भी पाऊँ ऐसा मेरा भरसक प्रयास रहता है और उनका उचित मार्गदर्शन भी कर सकूं ये कोशिश भी भरपूर करती हूँ ...सच कहूं तो मेरा निजी स्वार्थ भी है इसके पीछे, क्योंकि जितना उन्हें सिखाती नहीं उससे कहीं ज्यादा सीखती और समझती हूँ उनकी बातों से ...मोर्डेन ट्रेंड के बारे में , नए स्टाइल्स के बारे में , उनकी उम्र की आज के परिपेक्ष्य में परेशानियों के बारे में और उनकी उम्र के लोगो के सपनों , चाहतों और डिप्रेशन के बारे में भी ... सच कहूँ तो अंदर से अकेले , तनावग्रस्त , हैरान और परेशां हैं ज्यादातर

प्रशिक्षण ( training )

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प्यार भरा नमस्कार दोस्तों , सोचा था आप लोगों से विचारों का आदान-प्रदान होगा तो कुछ नया सोचने ,समझने और जानने को मिलेगा , पर आपके विचारों और सुझावों से अवगत नहीं हो पाई ...फिर सोचा कोई नहीं शायद आपके पास समय का अभाव रहा होगा या मेरे उठाये गए मुद्दों पर कोई विशेष टिपण्णी नहीं रही होगी ....खैर छोडिये .. शिक्षा क्षेत्र से जुड़े होने के कारण बच्चों की समस्याओं , उनकी तरक्की , उनके उचित विकास और सही मार्गदर्शन की बातों पर मेरा  ज्यादा ध्यान रहता है ....आप सब भी शायद ये महसूस करते होंगे कि आज शिक्षा संस्थानों का माहौल पहले जैसा तो कतई नहीं रहा ...ना तो वैसे गुरु हैं नाही पहले जैसे छात्र और हाँ अब पहले .जैसे अभिभावक भी कहाँ रहे ! ईमानदारी से सोचियेगा क्योकि तभी आप बतौर माँ-बाप या परिचित याद कर पायेंगे कि टीचर की डांट या सजा पर शायद कभी आपने भी बच्चे की हिमायत करते हुए टीचर को समझाने , सबक सीखाने या फिर उसकी शिकायत ऊपर तक करने की बात की हो या इस बात का समर्थन किया हो कि ' teacher has no right to be strict with the child or he/she is not supposed to scold , beat or punish the child for

नौकरी !

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प्यार भरा नमस्कार दोस्तों , आज बेटे ने बात बड़े ही उखड़े अंदाज़ में शुरू की थी , थोडा टटोलने पर पता चला कि नाराजगी उस बैंक कर्मचारी के ऊपर थी जो बड़े अक्खड़ तरीके से कस्टमर्स से पेश आ रहा था ...बात-चीत ने स्पीड पकड़ी तो हम दोनों ने ही अपने खट्टे (और कडवे भी) ऐसेअनुभव बांटे जो विशेषकर सरकारी कार्यालयों में ही मिलते हैं और रोष और सरदर्द का कारण होते हैं ....क्या वजह हो सकती है इन कष्टकर अनुभवों की ?? ...मेरे हिसाब से हर परिस्थिति (मसलन कामचोरी  , ग्राहकों से बेअदबी , लापरवाही , पद का दुरूपयोग इत्यादि ) में नौकरी पर बने रहने की गारंटी ,जो प्राइवेट कर्मचारी को कतई नसीब नहीं होती सालों-साल बाद जी तोड़ मेहनत के बाद भी ... ईमानदारी से जोर डालकर अपने अनुभवों को टटोलिये कभी न कभी आप भी इस दुर्व्यवहार का शिकार हुए होंगे ..तभी आप इस दर्द के मर्म को समझ पाएंगे ... मुझे लगता है कि जो दूसरा कारक इन कर्मचारियों (हरेक नहीं )के व्यहवार में तल्खी लाता है... वो व्यक्तिगत भी होता है  या शायद अनुवांशिक या शायद परिस्थिति जन्य ....व्यक्तिगत का मतलब काम का बोझ , प्रशिक्षण की कमी , जुगाडी  हुयी ,आरक्षण में मिल