PARENTING (एक कला )

प्यार भरा नमस्कार दोस्तों ,

जानते हैं आप! हर बार पोस्ट शेयर करने के बाद कई बार कौतुहलवश बार-बार चेक करती हूँ कि फिर किसी शुभचिंतक ने ANONYMUS के नाम से कोई सुझाव या सन्देश तो नहीं  पोस्ट किया ....पर बेकार :(
 खैर चलिए आज की बात करते हैं ...आज नयी पीढ़ी के दो लोगों से लम्बी बातचीत हुयी ...एक मेरा बेटा कम फ़ास्ट फ्रेंड और दूसरा मेरा भतीजा जो मुझे बहुत प्यार करता है ..ऐसा उसकी बातचीत के अपनेपन से झलकता है ...ये भगवान का आशीर्वाद ही है कि युवा वर्ग मुझसे अपनी बातें शेयर करने में हिचकता नहीं है ...उनको सुन और समझ भी पाऊँ ऐसा मेरा भरसक प्रयास रहता है और उनका उचित मार्गदर्शन भी कर सकूं ये कोशिश भी भरपूर करती हूँ ...सच कहूं तो मेरा निजी स्वार्थ भी है इसके पीछे, क्योंकि जितना उन्हें सिखाती नहीं उससे कहीं ज्यादा सीखती और समझती हूँ उनकी बातों से ...मोर्डेन ट्रेंड के बारे में , नए स्टाइल्स के बारे में , उनकी उम्र की आज के परिपेक्ष्य में परेशानियों के बारे में और उनकी उम्र के लोगो के सपनों , चाहतों और डिप्रेशन के बारे में भी ...सच कहूँ तो अंदर से अकेले , तनावग्रस्त , हैरान और परेशां हैं ज्यादातर और उसी का अक्स है समाज के गुमराह , भटके हुए , झुंझलाए और असभ्य नौजवान ....इसका एक बहुत बड़ा और महत्तवपूर्ण कारण उनके खुद के माँ-बाप हैं (ज्यादातर केस में ) l

मेरी सोच कहती है कि वैसे तो बदलाव एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है पर इसकी गति बदलती रहती है और आजके नौजवानों के माँ- बाप की जवानी में बदलाव की गति जरा धीमी थी इसलिए वो कब बदलते परिवेश में ढल गए और नए दौर को अपनाते चले गए उन्हें  नहीं पता लगा पर आज का भारतीय युवा वर्ग तेजी से बदलती दुनिया, रिश्तों और सामाजिक रूप -रेखा के बीच सामंजस्य बैठा रहा है ...माँ-बाप की दुहाई है कि वो अपने समय में ज्यादा संस्कारी थे , समझदार और सहनशील भी थे ...और आज के बच्चे पूरी तरह स्वच्छंद , मन-मौजी
और आधुनिकता के नाम पर दुर्गुणों में लिप्त हैं ...सही भी है !
पर जब फेसबुक में ज्यादातर selfies में आज के मध्यम वर्गीय महिला एवं पुरुषों को लेटेस्ट फैशन और कपड़ों से सजा देखती हूँ जिसमे वो काफी हद तक प्रशंसा पाने की लालसा में दिखते हैं , लेटेस्ट मोबइल फोन भी रखते हैं ( कई बार तो उसको ठीक से चलाना न जानते हुए भी ) और इसके लिए बच्चों से ही मदद भी लेते हैं ...जब उन्होंने नई - नई डिग्री के साथ  शहर की तरफ पलायन किया था ( वो अलग बात है कि अनाज आदि लेने के लिए वो माता-पिता से अक्सर मिलने जाते थे )  तब सरकारी नौकरी मिलना आसान था , उस समय नौकरी में  स्पर्धा कम थी , तब जीवन आधुनिक मशीनी जीवन से परे था स्त्रियाँ कम पढ़ी-लिखी होने के कारण घर में ज्यादा रहती थी और घर के काम में ज्यादा लगी रहती थीं , अल्प शिक्षा ने उनके अधिकारों , समानता के ज्ञान और उनकी  दोयम स्थिति से उन्हें अनभिज्ञ ही रखा था , आज के समय में किसी भी विभाग में कार्यरत मध्यमवर्गीय पुरुष भी (अपवादों को छोड़कर ) अल्पज्ञ ही है , वो जमीन से जुड़ा है क्योकिं उसे ज्यादा exposure नहीं मिला , जिन्हें मिला उन्होंने अपने परिवार को अलग आकार दिया , बच्चों को अलग दिशा दी ...
  ईमानदारी से सोचियेगा क्योंकि तभी आप अपने खुद के परिवार मे किसी चाचा , मामा , भाई आदि का (या खुद का भी ) ऐसा उदाहरन ढून्ढ पाएंगे जिन्होंने बच्चों को बाहर पढने भेजा , जिनके बच्चों की परवरिश दूसरों से बेहतर हुयी है और जिनका परिचय आप अपने अड़ोसी - पड़ोसी से बड़ी शान से कराते हैं ....
 जी हाँ! ये ही वो माँ- बाप हैं जो बच्चों के पालन-पोषण में उनके मालिक नहीं सहयोगी ज्यादा बने ...जिन्होंने अपने बच्चों को एक व्यक्तित्व का दर्जा दिया ... जिन्होंने अपने बच्चों को सिर्फ खिलाया - पिलाया या उनकी फ़ीस ही नहीं भरी , उन्हें सिर्फ अपना उदाहरन ही नहीं दिया , जिन्होंने सिर्फ बच्चों को अपनी अपेक्षाओं की लम्बी लिस्ट ही नहीं पकडाई बल्कि  साथ ही उनकी परवरिश भी की है ...एक माली की तरह जो पोधों को पोषित करता है , उचित कांट - छांट करता है , मौसम के हिसाब से धुप और पानी का ध्यान रखता है, निराई-गुड़ाई करता है और घर आंगन को सुन्दर बनाता है और इसके लिये  तारीफ भी पाता है ...

मेरे हिसाब से PARENTING is an ART , जन्म दे देना ही हमें माँ- बाप बनने की योग्यता नहीं दे देता ...वो जीव-विज्ञानं का एक चमत्कार है ...जबकि सही माने में माँ-बाप बनना एक मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया है जो सीखनी चाहिए , अमल में लानी चाहिए...जिसमें अभी भी भारत में बड़ी संख्यां में माँ-बाप निपुण नहीं हैं ...बहुत  लम्बी  चल सकती है चर्चा ...पर अब आपका और समय नहीं लूंगी ....

बच्चों की मानसिकता और भावनाओं का सही मुल्यांकन करते हुए उनके सहयोगी के रूप में उनका सही मार्ग दर्शन करने वाले और उनमे उचित जीवन-मूल्यों का विकास करने वाले अभिभावकों की गिनती में इजाफा हो ..इसी शुभेच्छा
के साथ आज के लिए बस इतना ही

अपना ख्याल रखियेगा ...

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