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Showing posts from October, 2017

यूँ ही ( जिन्दगी )

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प्यार भरा नमस्कार दोस्तों , .................................. इतेफाकन आज एक शख्स को देखकर यूँ ही कुछ लाइनें दिमाग में तैर गयीं तो उन्हें कागज़ पर हर्फों की शक्ल दे डाली ....पसंद आये तो बताईयेगा जरूर ...                                                                     ' रंग - चेहरों के '         ''  नारंगी , नीला , पीला ....हरा                रगों के जैसा ही होता है हर चेहरा ....हरेक अपने में खास, हरेक अपने में अलग           सूने , मुस्काते ,तपते ,उंघते ,उकताते ,चमकदार और भी न जाने कितने प्रकार                 जीवन के हर पहलू से जुड़े चेहरे , सब अपने में खास.... सब अपने में अलग           तीखे , मुलायम , सुर्ख , सर्द , सख्त ,ज़र्द ,मखमली और भी कई जज्बातों की देते हैं बानगी                  जैसे हों हालात वैसे ही चेहरे , सब अपने में खास ...सब अपने में अलग            दुलारते , दुत्कारते , सिखाते , धिक्कारते , पुचकारते और भी भावों का दर्पण बन जाते                   मन की दशा को दर्शाते चेहरे , सब अपने में खास ....सब अपने में अलग         लाल , गुलाबी , सफ़े

सोच ( अपनी-अपनी )

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प्यार भरा नमस्कार दोस्तों , विगत दिवाली की शुभकामनायें ...यूँ भी देश के कुछ प्रान्तों में तो दिवाली आगामी एकादशी तक मनाई जाती है ..दिए और रोशनियाँ जलाकर , खैर चलिए शुभकामनायें तो शुभ की कामना से ही दी जाती हैं तो इतने विस्तार की जरूरत नही है ... इस बार की दिवाली घर से बाहर दोस्तों , रिश्तेदारों के साथ मिलकर मनाने का अवसर मिला ...मिला इसलिए कि हमारी परम्परागत सोच तो हमे दिवाली अपने घर की ही करने की प्रेरणा देती है लेकिन कुछ कारण ऐसे बने की जाना जरूरी हो गया और ये नया अनुभव हाथ लगा ...कि अपनों से मिलना ,समय साथ गुजारना ,लीक से हट के भी त्यौहार मनाना कभी-कभी सुखद होता है . इतेफाक से देश की राजधानी में दिवाली की रात गुजारी ...जहाँ आतिशबाजी बेचने पर सरकारी रोक थी ...और उसी वजह से उम्मीद थी की पटाखों की कर्णभेदी ध्वनि और उनसे निकलने वाला घोर प्रदूश्नकारी काला धुंआ भी नहीं झेलना पड़ेगा ....पर अफ़सोस लाख प्रगतिशील होने , आधुनिक लोगों से भरा होने के बावजूद ये शहर भी उन आम शहरों की तरह ही पेश आया जो की छोटे और पिछड़े माने जाते हैं ..यानि की पटाखे चले और( इस बात पर कि रोक क्यों लगायी गय

Career or Character ???

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    प्यार भरा नमस्कार दोस्तों , आपने भी जरूर सुना होगा ...ठीक से , ध्यान से पढाई कर ले बेटा बड़े होकर 'बड़ा आदमी' बनना है...पर हम ऐसा कम ही सुनते हैं कि पढ़-लिख ले बेटा बड़ा होकर ' अच्छा आदमी' बनना है  ...व्यक्तिगत तौर पर मेरे लिए अच्छा इंसान होना बड़ा इन्सान होने से कहीं ज्यादा जरूरी है .... चाहे चंडीगढ़ का बड़े बाप के बेटे का महिला से छेड़-छाड़ करना ले लीजिये या विजय माल्या का चार सौ बीसी कर देश से पलायन या बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में महिलाओं से दुर्व्यहवार या फिर धर्म के नाम पर बड़े-बड़े धर्माधिकारियों के द्वारा महिला -अनुयायियों का शोषण या फिल्मो से जुड़े नामी -गिरामी व्यक्तियों का कास्टिंग काउच हो या देश के घोटालों के मास्टर-माइंडस ....ऐसे अनगिनत मामलें है जो तथाकथित बड़े आदमियों द्वारा अंजाम दिए गए हैं ... जाने - माने कालेजों से शिक्षा प्राप्त , समाज के उच्च वर्ग के वो पुरुष(स्त्रियां शिकार ज्यादा और शिकारी कम ही हैं , इस कारण उल्लेखनीय नहीं हैं यहाँ ) जिन्होंने माँ-बाप के अनुसार बड़े आदमी का तमगा तो माथे पे  लगा लिया पर शायद अच्छा आदमी बनने में कुछ चूक गए  ... ईमानदा