यूँ ही ( जिन्दगी )
प्यार भरा नमस्कार दोस्तों ,
..................................
इतेफाकन आज एक शख्स को देखकर यूँ ही कुछ लाइनें दिमाग में तैर गयीं तो उन्हें कागज़ पर हर्फों की शक्ल दे डाली ....पसंद आये तो बताईयेगा जरूर ...
' रंग - चेहरों के '
'' नारंगी , नीला , पीला ....हरा
रगों के जैसा ही होता है हर चेहरा ....हरेक अपने में खास, हरेक अपने में अलग
सूने , मुस्काते ,तपते ,उंघते ,उकताते ,चमकदार और भी न जाने कितने प्रकार
जीवन के हर पहलू से जुड़े चेहरे , सब अपने में खास.... सब अपने में अलग
तीखे , मुलायम , सुर्ख , सर्द , सख्त ,ज़र्द ,मखमली और भी कई जज्बातों की देते हैं बानगी
जैसे हों हालात वैसे ही चेहरे , सब अपने में खास ...सब अपने में अलग
दुलारते , दुत्कारते , सिखाते , धिक्कारते , पुचकारते और भी भावों का दर्पण बन जाते
मन की दशा को दर्शाते चेहरे , सब अपने में खास ....सब अपने में अलग
लाल , गुलाबी , सफ़ेद , सावले , काले जीवन के रंगों से पहचान कराते
सब अपने में खास ....सब अपने में अलग चेहरे ....'' *
'' वो - बेनाम ''
'' फिर उठा कपडे झाड़े ,पोटली समेटी ,पास खड़े कुत्ते को दुत्कारा और खड़ा हो गया
इस बड़ी सी दुनिया का वो शून्य से भी छोटा ....इंसान
न घर , न परिवार , न मकान , न सामान ..क्यों जिन्दा है ? किसके लिए जिन्दा है ?
कब तक जिन्दा है ? किसी को नहीं पड़ी ....
सांस है तो चलता है , भूख है तो मांगता है , जिन्दा है इसीलिए मरा हुआ नहीं माना जाता है
शामियाने में झाँक रहा है , नजर डब्बे पर जिसमे झूठी पत्तलें डाली जा रही हैं
कुत्ता भी साथ है , लालच दोनों की आँखों में बराबर है ....
न कुत्ते का कोई नाम है न उसका , दोनों साथ हैं कबसे ?
शायद जबसे दुनियादारी , वफादारी , फिक्रमंदी और जरूरतें बनी ...तबसे .
एक दिन वो ऐसे ही किसी कोने में या सड़क पर या फूटपाथ या प्लेटफार्म पर मरा मिलेगा ,कुत्ते के जैसे ही
खबर भी नहीं बन पायेगा क्योंकि वो तो मरकर भी किसी के काम नहीं आयेगा ....
न तो वो शौहर है , न बाप , न नौकर , न ही वोटर...जो किसी के भी काम का हो
शून्य है मिट जायेगा .............वो - बेनाम '' *
आज के लिए बस इतना ही .....
अपना ख्याल रखियेगा .....
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इतेफाकन आज एक शख्स को देखकर यूँ ही कुछ लाइनें दिमाग में तैर गयीं तो उन्हें कागज़ पर हर्फों की शक्ल दे डाली ....पसंद आये तो बताईयेगा जरूर ...
' रंग - चेहरों के '
'' नारंगी , नीला , पीला ....हरा
रगों के जैसा ही होता है हर चेहरा ....हरेक अपने में खास, हरेक अपने में अलग
सूने , मुस्काते ,तपते ,उंघते ,उकताते ,चमकदार और भी न जाने कितने प्रकार
जीवन के हर पहलू से जुड़े चेहरे , सब अपने में खास.... सब अपने में अलग
तीखे , मुलायम , सुर्ख , सर्द , सख्त ,ज़र्द ,मखमली और भी कई जज्बातों की देते हैं बानगी
जैसे हों हालात वैसे ही चेहरे , सब अपने में खास ...सब अपने में अलग
दुलारते , दुत्कारते , सिखाते , धिक्कारते , पुचकारते और भी भावों का दर्पण बन जाते
मन की दशा को दर्शाते चेहरे , सब अपने में खास ....सब अपने में अलग
लाल , गुलाबी , सफ़ेद , सावले , काले जीवन के रंगों से पहचान कराते
सब अपने में खास ....सब अपने में अलग चेहरे ....'' *
'' वो - बेनाम ''
'' फिर उठा कपडे झाड़े ,पोटली समेटी ,पास खड़े कुत्ते को दुत्कारा और खड़ा हो गया
इस बड़ी सी दुनिया का वो शून्य से भी छोटा ....इंसान
न घर , न परिवार , न मकान , न सामान ..क्यों जिन्दा है ? किसके लिए जिन्दा है ?
कब तक जिन्दा है ? किसी को नहीं पड़ी ....
सांस है तो चलता है , भूख है तो मांगता है , जिन्दा है इसीलिए मरा हुआ नहीं माना जाता है
शामियाने में झाँक रहा है , नजर डब्बे पर जिसमे झूठी पत्तलें डाली जा रही हैं
कुत्ता भी साथ है , लालच दोनों की आँखों में बराबर है ....
न कुत्ते का कोई नाम है न उसका , दोनों साथ हैं कबसे ?
शायद जबसे दुनियादारी , वफादारी , फिक्रमंदी और जरूरतें बनी ...तबसे .
एक दिन वो ऐसे ही किसी कोने में या सड़क पर या फूटपाथ या प्लेटफार्म पर मरा मिलेगा ,कुत्ते के जैसे ही
खबर भी नहीं बन पायेगा क्योंकि वो तो मरकर भी किसी के काम नहीं आयेगा ....
न तो वो शौहर है , न बाप , न नौकर , न ही वोटर...जो किसी के भी काम का हो
शून्य है मिट जायेगा .............वो - बेनाम '' *
आज के लिए बस इतना ही .....
अपना ख्याल रखियेगा .....
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