जिम्मेदारी

नमस्कार नहीं बस  प्यार दोस्तों ,

मेरी एक घनिष्ठ मित्र ने मेरी पोस्ट पर जब तारीफ के साथ मुझे निरंतरता बनाये रखने और  जिम्मेदारी निभाने का एहसास कराया तो ख़ुशी हुयी ,मुझ पर उनके भरोसे को देखकर ....दिल से शुक्रिया .

बड़ा ही आम शब्द है 'जिम्मेदारी'...जिसको हम दूसरों के लिए बड़े ही कॉन्फिडेंस के साथ इस्तेमाल करते हैं ...मसलन - " तुम्हारी भी कोई जिम्मेदारी है की सब हम ही करे , कुछ जिम्मेदार बनो कितने बड़े हो गए हो/ हो गयी हो  , हद हो गयी यहाँ तो किसी की कोई जिम्मेदारी ही नहीं है , .........इत्यादि इत्यादि .

क्या है जिम्मेदारी ? कैसे और कहाँ से आती है ? क्या सब अपने हिस्से की निभा रहे हैं ? क्या दुसरो की नज़र में भी हम जिम्मेदार हैं (क्योकि अपनी नज़र में तो बस हम ही जिम्मेदार हैं )
.
मेरे लिए जिम्मेदारी वैसे तो एक INBUILT FEATURE है , पर इसको बाहरी परिस्थितियों और जरूरतों के हिसाब से अपनाया भी जा सकता है (इच्छा होने पर ) लेकिन जिम्मेदारी के साथ जो कदम से कदम मिला कर चलती है या कहे की उसकी परछाई है वो है जवाबदारी .... यकीं मानिये ये एक रस्सी के दो सिरे हैं .

माँ का बच्चे को खाना बनाकर खिलाना उसकी जिम्मेदारी है ...पर खाना पौष्टिक हो ये जवाबदारी है
टीचर का बच्चों  को पढाना उसकी जिम्मेदारी है .....पर पढाई सार्थक हो ये जवाबदारी है
पिता का परिवार के लिए पैसा कमाना उसकी  जिम्मेदारी है ...पर पैसे का सही इस्तेमाल हो ये जवाबदारी है
सरकार का देश चलाना उसकी जिम्मेदारी है ....पर जनता परेशां न हो ये जवाबदारी है

पर असल में क्या हम सब जवाबदार हैं ???...ईमानदारी से सोचियेगा , क्योकि ईमानदारी हमें गलत करने से रोकती है .

बच्चे को स्कूल भेजकर क्या माँ-बाप उसे  घर पर मिलने वाली सही शिक्षा - दीक्षा की जवाबदारी लेते हैं ?
क्या बच्चो को ढेर सारा जेब-खर्च देकर कभी उससे उसका हिसाब लेने की जवाबदारी लेते  हैं ?
क्या टीचर अपने बच्चो से अपने  पढाने के तरीके और उनके बिगड़े परिणामो का असली कारणों की पड़ताल करने की जवाबदारी लेते हैं ? क्या बूढ़े माँ-बाप को घर में साथ रखने पर बच्चे उनकी पसंद- नापसंद का ख्याल रखने की जवाबदारी लेते हैं ?  क्या मरीज़ को दवाई लिखने के साथ डाक्टर उसकी मानसिक शांति और अच्छे स्वास्थ्य की जवाबदारी लेते हैं?
उम्रदराज लोग अपने समय को याद करते हैं  उसके बहुत अच्छे होने ,अपने संस्कारी होने का दावा करते है पर अपनी अगली पीढ़ी में वो संस्कार न पंहुचा पाने की जवाबदारी लेते हैं ? हम दोषारोपण करते हैं पर क्या हम अपने दोष स्वीकारने की जवाबदारी लेते हैं ?

ऐसा शायद इसलिए कि हम जिम्मेदारी उठाते हैं  निभाते नहीं ....और उठाया तो बोझ जाता है...निभाया जाता है रिश्ता जिससे हमारे दिल और जज्बात जुड़े होते हैं और हम उसकी जवाबदारी भी लेते हैं ...

चलिए अपनी लिखी एक कविता आपसे साझा करती हूँ ....अच्छी न लगे तो भी बताईयेगा ...अब जब साथ हैं तो बुरा क्या मानना...

"एक था घर और दीवारें चार ,
रहता था उसमे एक बड़ा परिवार ,
तेरे -मेरे का न था विचार ,
सब सीधे - सादे , सब होशियार 

एक दिन एक दिमाग का बदला व्यवहार 
दिल ने दिया पहले उसको नकार ,
दिमाग ने जोर लगाया लगातार ,
दिल ने दिया अपनी हिम्मत को हार 

अब भी एक था घर, पर दीवारे हजार 
रहते थे लोग , पर न था परिवार
क्या तेरा , क्या मेरा, बस अब यही था विचार  
वो कहते हैं खुद को शिक्षित और समझदार ".


जवाबदारी को समझने की एक कोशिश के साथ .....आज के लिए बस इतना ही

अपना ख्याल रखियेगा ....


Comments

  1. जिम्मेदारी तथा जबाबदारी या फिर जबाबदेही सही मायनों मे एक दूसरे के पर्याय ही हैं। या यूँ कहें कि एक मे दूसरा निहित है। दोनों को एक ही रस्सी के दो किनारे कहना शायद सही न हो। अक्सर ऐसा दो विपरीत सोच को दर्शाने के लिए किया जाता है। मेरे अपने कुछ विचार आपकी लिखी रचनाओं पर व्यक्त करना चाहता हूँ इस उम्मीद से कि आप इसे एक सकारात्मक तरीके से लेंगी।
    1.आपकी सोच और शुरुआत दोनो काबिलेतारीफ हैं, प्रयत्न करते रहिए।
    2. मुझे आपका शुरुआत का तरीका थोड़ा अलग लगा- थोड़ा नकारात्मक... जब आप कहती हैं नमस्कार नही बस प्यार दोस्तों। एक से शुरुआत हो और दूसरे से खत्म तो क्षणिक नकारात्मकता अदृश्य हो जाएगी।
    3.आपका हिंदी भाषा मे प्रवाह आपकी रचनाओं मे अभी प्राकृतिक रूप से नजर नही आता, इस पर जरा गौर करियेगा ताकि आप अपनी बात और विचार और मजबूती से रख पायें। इस बात को आप अपने गद्य और पद्य पर भी लागू कर सकें तो और भी अच्छा क्योंकि अभी दोनों एक दूसरे से बिलकुल अलग लगते हैं। हर एक रचना आपके द्वारा दिए गये शीर्षक को केंद्र मे रखकर लिखी हो तो विचारों मे अवरोध नही आएगा।
    4.जरूरी नही कि कविता मे तुकबंदी दी जाए... इससे आपके विचार बाध्य हो जाते हैं। यदि आपकी कविता आपकी लिखी बात और शीर्षक से मेल रखेगी तो प्रवाह स्वयं आ जाएगा। साथ मे अब आपको मात्रा का भी पूरा ध्यान रखना होगा क्योंकि आपसे छोटे-बड़े सब इसे पढ़ रहे होंगे।
    5.प्रयास करें कि ज्यादा मुद्दे सामाजिक हों, निजी विषय दिल के बड़े करीब होते हैं, उन पर कोई ओछी टिप्पणी कर दे तो फालतू मे मन विचलित हो जाता है और फिर सामाजिक विषयों पर निष्पक्ष राय रखी जा सकती है।
    6.Tinder....for info
    जाते-जाते एक सवाल... ये हर एक रचना में निजी फोटो डालने का क्या राज है.....मुद्दे से जुड़ी फोटो हो तो बात दिल तक तुरंत पहुँच जाएगी।

    हर एक लब्ज, हर एक बात, एहसास का हर पल
    बस यूँ करें बयां कि शरमा दे ग़जल..
    ................
    अगली दो पंक्तियाँ आप पूरा करेंगी ऐसी आशा के साथ..... अलविदा।

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  2. प्यार भरा नमस्कार दोस्तों .....तहजीब का तकाज़ा है कि सबसे पहले शुक्रिया किया जाये आपके कीमती वक़्त और नेक सलाहों के लिए ...अब आगे चलती हूँ ...कोई शक नहीं कि जिम्मेदारी जवाबदारी और जवाबदेही पर्याय हैं ...इसीलिए नदी के किनारे नहीं कहा ...रस्सी के किनारे कहा क्योकि जब तक रस्सी का अस्तित्व है किनारे तो रहेंगे ही और साथ भी रहेंगे ..१ ) सोच अच्छी ही थी ऐसा यकीं था , शुरुआत भी अच्छी है, ये जानकर बहुत ख़ुशी हुई २) शुरुआत अब वो नहीं रहेगी इसकी बानगी आपको मिल गयी होगी (शायद आम होने का डर था , सो अलग तरीका निकाला था , लेकिन नकारात्मक तो नहीं होना चाहूंगी ). ३) भाषा पर पकड़ बनाने की पूरी कोशिश रहेगी ,नेक सलाहें और नसीहतें बेहतरी की तरफ ले जाती हैं ऐसा मेरा विश्वास है . ४) सच तो ये है कि कविता के संकलन को (जो किसी के प्रोत्साहन से अभी लिखना शुरू किया है ), साझा करने के लिए ही ये मंच चुना था , पर मन में इतना कुछ चलता है कि रुख कही और मुड जाता है , मात्राओ के मामले में इस मशीन को कुसूरवार ठहरा रही हूँ , वरना मुझे भी जान - बूझकर गलती करना पसंद नहीं . ५ ) जहाँ तक विषय चुनने की बात है , उसमे अभिव्यक्ति की आज़ादी चाहूंगी , जो असंवेदनशील हैं वो ही ओछी और फालतू टिपण्णी करेंगे , और ऐसे लोगो से दुनिया भरी हुई है , सामाजिक विषय भी काफी संवेदनशील होते हैं , रही राय की बात तो वो ही है जो बिन मांगे मिल ही जाती है उसमे मुद्दा अहम् नहीं होता . ६) Tinder ....now I got it , Thanks . चलते चलते एक और जवाब ...निजी फोटो डालने का कोई राज़ नहीं है ...बस लगा की फेसबुक पर पोस्ट शेयर करने के लिए ये एक पहचान पत्र का काम करेगी .

    " गर एह्सास है तो महसूस कर , शब्द खुद में ही कर ले ज़ज्ब
    यूँ इससे आम न कर , न दे जज्बातों को कोई शक्ल "

    शायद आपकी लाइनों के साथ इन्साफ कर पाई हूँ ....ऐसी आशा के साथ ...अलविदा .

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  3. इंसानी फितरत यही है कि लोग शहद के छत्ते ढूँढ़ते हैं, मलाई व चाशनी की कड़ाहियों और पकवानों से लेकर उन सभी पर पैनी निगाह होती है जिन्हें पाने के लिए ज्यादा कुछ मशक्कत नहीं करनी पड़ती। मैम आपने बिल्कुल सही कहा कि जिम्मेदारी तो सब उठा रहें हैं पर कोई नहीं समझ पा रहा है जवाबदेही को। मैम सबको अपने ही कामों में आनंद आता है, अपने स्वार्थ और काम ही सर्वत्र दिखाई देते हैं, दूसरों के बारे में कहीं भी न कोई चिन्ता करता है, न चिंतन। जवाबदारी और जवाबदेही का मौजूदा संकट सामाजिक और राष्ट्रीय गरिमा को भी ठेस पहुँचा रहा है। एक अच्छा इंसान वही है जो हर काम को जवाबदारी से करे और हर मामले में जवाबदेह रहे। और अंत में कुछ पंक्तियाँ लिखना चाहता हूँ (हालांकि ये मेरी नहीं है पर सब कि भी नहीं है) जीवन में तकलीफ़ उसी को आती है जो
    हमेशा जवाबदारी उठाने
    को तैयार रहते है और जवाबदारी लेने
    वाले कभी हारते नही या तो
    जीतते है या फिर सीखते है , अभिमन्यु
    की एक बात बड़ी शिक्षा देतीं हैं
    हिम्मत से हारना पर हिम्मत मत हारना

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    1. Very well said... Responsibility or accountability or answerability watever we can call...they are all are just another word if we do not follow them in principle in our lives... The way world is progressing, people have started running from responsibilities...wat to talk of accountability... Ur ending remarks are remarkable and very motivating

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    2. आकाश ...तुम्हारे ख्यालो को पढकर बहुत अच्छा लगा ...पिछले कुछ समय से मैंने गौर किया है कि आज का युवा सचेत , सतर्क और समझदार भी है , शायद हमेशा था बस जरा जनरेशन गैप के चलते निशाने पर रहता है ...पंक्तिया किसी की भी हो तारीफ की हकदार हैं ....रिव्यु के लिए धन्यवाद् ....आगे भी तुम्हारे विचार जानने का मौका मिलेगा इसी के साथ ....अभी के लिए अलविदा .


      First of all thank you so much for your remark ....it's indeed an encouragement ...and so glad to read the last line of your post regarding ending remarks ....seems my words from heart are reaching to hearts . Keep reading and encouraging .

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    3. मुस्कुराहटों के साथ अलविदा ☺

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  4. बहुत खूब

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    1. Thanks...SHAYARI me isase ko ise padhiyega...

      Apka naam janker achchha lagega..

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  5. हम जिम्मेदारी उठाते हैं निभाते नहीं ....और उठाया तो बोझ जाता है...निभाया जाता है रिश्ता जिससे हमारे दिल और जज्बात जुड़े होते हैं और हम उसकी जवाबदारी भी लेते हैं ...👍👍👍

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    1. इन पंक्तियों को पसंद करने का शुक्रिया .....दिल से .

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