Career or Character ???

   प्यार भरा नमस्कार दोस्तों ,

आपने भी जरूर सुना होगा ...ठीक से , ध्यान से पढाई कर ले बेटा बड़े होकर 'बड़ा आदमी' बनना है...पर हम ऐसा कम ही सुनते हैं कि पढ़-लिख ले बेटा बड़ा होकर 'अच्छा आदमी' बनना है  ...व्यक्तिगत तौर पर मेरे लिए अच्छा इंसान होना बड़ा इन्सान होने से कहीं ज्यादा जरूरी है ....

चाहे चंडीगढ़ का बड़े बाप के बेटे का महिला से छेड़-छाड़ करना ले लीजिये या विजय माल्या का चार सौ बीसी कर देश से पलायन या बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में महिलाओं से दुर्व्यहवार या फिर धर्म के नाम पर बड़े-बड़े धर्माधिकारियों के द्वारा महिला -अनुयायियों का शोषण या फिल्मो से जुड़े नामी -गिरामी व्यक्तियों का कास्टिंग काउच हो या देश के घोटालों के मास्टर-माइंडस ....ऐसे अनगिनत मामलें है जो तथाकथित बड़े आदमियों द्वारा अंजाम दिए गए हैं ...जाने - माने कालेजों से शिक्षा प्राप्त , समाज के उच्च वर्ग के वो पुरुष(स्त्रियां शिकार ज्यादा और शिकारी कम ही हैं , इस कारण उल्लेखनीय नहीं हैं यहाँ ) जिन्होंने माँ-बाप के अनुसार बड़े आदमी का तमगा तो माथे पे  लगा लिया पर शायद अच्छा आदमी बनने में कुछ चूक गए  ... ईमानदारी से सोचियेगा तभी आप आस-पास के प्रभावपूर्ण , रुतबेदार , ओहदेदार लोगो के 'बड़े-पन'  में गरिमा अथवा गन्दगी का अंतर समझ पाएंगे .

आज समाज जिस दौर से गुजर रहा है उसकी कल्पना इस आधुनिक युग में शर्मनाक है ...बडापन  सिर्फ अंग्रेजी बोलने , महंगे उपकरण इस्तेमाल करने ,पाश्चत्य लिबास पहनने ,रातों को घुमने या स्वछन्दता के प्रदर्शन से ही नहीं दिखना चाहिए अपितु सामाजिक व्यवहार , पब्लिक प्लेसेस में लोगों से , ऑफिस में अपने सहकर्मियों या अधिनस्थों से आपकी बातचीत , हाव-भाव ,सामान्य शिष्टाचार , औरतों के प्रति आपकी सोच, तौर-तरीकों , समाज के लिए आपके योगदान , अगली पीढ़ी के लिए आपके सहयोग और देश के भविष्य में आपके कर्तव्य बोध से दिखना  चाहिए ...

इसके लिए जड़ों से यानि की रूट लेवल से काम करना जरूरी है ...परिवार और विद्यालय बालक की योग्यता , कौशल और अन्य खासियतों को देखकर उसे आगे बढ़ाते हुए पहले उसको एक अच्छे इन्सान(नैतिक ,सामाजिक , सहज , संतुलित ,सहयोगपूर्ण और सैधांतिक) के रूप मे विकसित करें तो निश्चित ही उसकी अच्छाई उसे आगे बढ़ने का हौसला देकर समाज को सही दिशा देते हुए एक बड़ा आदमी बना ही देगी...

अच्छा आदमी देव-तुल्य नहीं होता .... बहुत अधिक शराब पीकर घर या बाहर गली-गलौच या बीवी बच्चों से मारपीट  करना या कभी कभार थोड़ी बहुत शराब पीकर भी संयमित और संतुलित सामाजिक व्यहवार करना .....धोखा -धडी और रिश्वत की कमाई से बच्चों की हर जायज नाजायज़ मांग को पूरा करना या अपनी मेहनत और ईमानदारी की कमाई से बच्चों का उचित पालन-पोषण करना ... घर-बाहर महिला सहकर्मियों ,महिला मित्रों और महिला रिश्तेदारों से छिछोरी , अभद्र और असामाजिक हरकतें करना या उनका सम्मान और सहयोग करना .... इत्यादि -इत्यादि ..

चुनाव आपका है क्योंकि जीवन आपका है ...और हर चुनाव के परिणाम के लिए आप और सिर्फ आप ही जवाबदार हैं ....

आज के लिए बस इतना ही ..


अपना ख्याल रखियेगा .....


  

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