नौकरी !

प्यार भरा नमस्कार दोस्तों ,

आज बेटे ने बात बड़े ही उखड़े अंदाज़ में शुरू की थी , थोडा टटोलने पर पता चला कि नाराजगी उस बैंक कर्मचारी के ऊपर थी जो बड़े अक्खड़ तरीके से कस्टमर्स से पेश आ रहा था ...बात-चीत ने स्पीड पकड़ी तो हम दोनों ने ही अपने खट्टे (और कडवे भी) ऐसेअनुभव बांटे जो विशेषकर सरकारी कार्यालयों में ही मिलते हैं और रोष और सरदर्द का कारण होते हैं ....क्या वजह हो सकती है इन कष्टकर अनुभवों की ?? ...मेरे हिसाब से हर परिस्थिति (मसलन कामचोरी  , ग्राहकों से बेअदबी , लापरवाही , पद का दुरूपयोग इत्यादि ) में नौकरी पर बने रहने की गारंटी ,जो प्राइवेट कर्मचारी को कतई नसीब नहीं होती सालों-साल बाद जी तोड़ मेहनत के बाद भी ...

ईमानदारी से जोर डालकर अपने अनुभवों को टटोलिये कभी न कभी आप भी इस दुर्व्यवहार का शिकार हुए होंगे ..तभी आप इस दर्द के मर्म को समझ पाएंगे ...

मुझे लगता है कि जो दूसरा कारक इन कर्मचारियों (हरेक नहीं )के व्यहवार में तल्खी लाता है... वो व्यक्तिगत भी होता है  या शायद अनुवांशिक या शायद परिस्थिति जन्य ....व्यक्तिगत का मतलब काम का बोझ , प्रशिक्षण की कमी , जुगाडी  हुयी ,आरक्षण में मिली नौकरी या ले-दे के कब्जाई हुयी इत्यादि ... अनुवांशिक का मतलब अपने परिवार के उन सदस्यों, जो कि सरकारी नौकर रहें हों उनसे अनुवांशिक तौर पर मिली हो ....या फिर परिस्थतियां इतनी कठिन हों कि राम-भरोसे नौकरी ढोनी पड़ रही हो ...पर कुछ भी कहिये, है मजे की है ये सरकारी नौकरी .
ऊंच-नीच या छोटे-बड़े के भेद को कम करती है ...जैसे की सरकारी ऑफिस का चपरासी भी बड़े ओहदेदार से कम तेवर नही रखता ... खैर जो भी हो ,कुछ तो बात है जो बड़ी-बड़ी डिग्रियां और अच्छी-भली प्राइवेट नौकरी को त्याग करके लोग सरकारी महकमे में न्यूतम श्रेणी की नौकरी लेने की होड़ में रहते हैं ...

बहुत सारी  शुभकामनाओं के साथ ही एक निवेदन भी उन सभी लोगों से करना चाहूंगी जो सरकारी नौकरी में हैं , या होने वाले हैं या कि प्रयासरत हैं ...कि भगवान आपको दिन दुनी रात चौगुनी प्रगति दे ...पर कृपया ध्यान रखिये कि देश सिर्फ सरकारी कार्यालयों और आपकी सेवाओं से ही नहीं चल रहा है , कुछ और भी लोग हैं जो आपसे थोड़ी ज्यादा मेहनत , थोड़ी कम आराम वाली , कुछ जगह कम तनख्वाह वाली और कम सुविधाओं (आवास, भत्तों इत्यादि ) वाली नौकरी करके इसी देश की उन्नति में अपनी भागीदारी दे रहे हैं  (अपवाद हर जगह , हर कार्यालय , हर पद और हर नौकरी में होते हैं ) ...सो आदर, सरल व्यहवार और सहयोग को अपनी कार्यशैली का हिस्सा बनाईये ...आखिर राष्ट्रीयता (nationality ) के कालम में सरकारी और प्राइवेट दोनों सेक्टर के कर्मचारी ' INDIAN  ' ही लिखतें हैं...

आज के लिए इतना ही ...



अपना ख्याल रखियेगा ...

  

Comments

Popular posts from this blog

साक्षर या शिक्षित