साथ
नमस्कार नहीं बस प्यार दोस्तों ,
आज आपसे मुखातिब होने से पहले बहुत से ख्याल दिमाग में आ-जा रहे थे , फिर लगा सोच-समझकर ,बना-सजाकर बात कही तो बनावटी हो जाएगी , फिर वो दिल और जज्बात के दायरे से अलग हो जाएगी...और अपनी बात तो उन ख़यालात की है जो आते हैं और फिर दिमाग पर छा जाते है और लगता है की उन्हें जाहिर किया जाये .....अब चाहे आप माने या न माने ऐसा बहुत कुछ है जो हम सब में एक सा है बस अलग है तो दिखाने जताने या जाहिर करने का तरीका.....कहीं कुछ जुड़ रहा है हमारे बीच... और शायद हम जल्दी ही एक दुसरे को बेहतर तरीके से समझ पाएंगे ....और शायद ये जुड़ाव मुझे और आपको मन को हल्का करने , चीजों को , जिंदगी को बेहतर ढंग से समझने में मददगार हो......साथ रहिएगा ...हम सभी को एक साथ की ही जरूरत है वरना भीड़ तो हर जगह लग जाती है , कुछ लिखा था जो
आपसे साझा करती हूँ , पसंद आये तो तारीफ को शब्दों में पिरोकर भेज दीजियेगा ( हौसला अफजाई के लिए ) .....
"बिखर-बिखर कर जुड़ जाती हूँ , बहुत ढईठ हूँ मैं....
इसलिए कोई मुझको सहारा नही देता "
"न पशेमा , न उदास ,न शर्मिंदा है
गलत नहीं थी , इसीलिए रूह अभी जिन्दा है ".
"वो इतेफाक से मिलना , मिल के हंस देना
वो देना तव्वजो हरेक को मुस्कुरा के
जो खामियां थी मेरी , तेरे हवाले से
किसी ने टूट के चाहा है इन्हें ".
"माँ ने कहा था ' अब वो ही घर है तेरा '
पर वहां अपना ख्याल खुद ही रखना है
ये तो बताया ही न था ".
"टुकुर - टुकुर करती काली आंखे
कोमल से वो हाथ नरम
रुई जैसा बहुत मुलायम
मेरा बच्चा .....जिसने मुझसे जनम है पाया ".
मैं और बेटा .....आज के लिए इतना ही ...मीठी यादों के साथ ......
अपना ख्याल रखियेगा ...
आज आपसे मुखातिब होने से पहले बहुत से ख्याल दिमाग में आ-जा रहे थे , फिर लगा सोच-समझकर ,बना-सजाकर बात कही तो बनावटी हो जाएगी , फिर वो दिल और जज्बात के दायरे से अलग हो जाएगी...और अपनी बात तो उन ख़यालात की है जो आते हैं और फिर दिमाग पर छा जाते है और लगता है की उन्हें जाहिर किया जाये .....अब चाहे आप माने या न माने ऐसा बहुत कुछ है जो हम सब में एक सा है बस अलग है तो दिखाने जताने या जाहिर करने का तरीका.....कहीं कुछ जुड़ रहा है हमारे बीच... और शायद हम जल्दी ही एक दुसरे को बेहतर तरीके से समझ पाएंगे ....और शायद ये जुड़ाव मुझे और आपको मन को हल्का करने , चीजों को , जिंदगी को बेहतर ढंग से समझने में मददगार हो......साथ रहिएगा ...हम सभी को एक साथ की ही जरूरत है वरना भीड़ तो हर जगह लग जाती है , कुछ लिखा था जो
आपसे साझा करती हूँ , पसंद आये तो तारीफ को शब्दों में पिरोकर भेज दीजियेगा ( हौसला अफजाई के लिए ) .....
"बिखर-बिखर कर जुड़ जाती हूँ , बहुत ढईठ हूँ मैं....
इसलिए कोई मुझको सहारा नही देता "
"न पशेमा , न उदास ,न शर्मिंदा है
गलत नहीं थी , इसीलिए रूह अभी जिन्दा है ".
"वो इतेफाक से मिलना , मिल के हंस देना
वो देना तव्वजो हरेक को मुस्कुरा के
जो खामियां थी मेरी , तेरे हवाले से
किसी ने टूट के चाहा है इन्हें ".
"माँ ने कहा था ' अब वो ही घर है तेरा '
पर वहां अपना ख्याल खुद ही रखना है
ये तो बताया ही न था ".
"टुकुर - टुकुर करती काली आंखे
कोमल से वो हाथ नरम
रुई जैसा बहुत मुलायम
मेरा बच्चा .....जिसने मुझसे जनम है पाया ".
मैं और बेटा .....आज के लिए इतना ही ...मीठी यादों के साथ ......
अपना ख्याल रखियेगा ...
लगता है बहुत कुछ एक साथ चल रहा है दिल और दिमाग में ....बहुत सुंदर किन्तु बीच में कुछ छूट रहा है ...आलोचक भी हूँ तुम्हारी
ReplyDeleteSahi kaha bahut kuchh ek sath chlata hai..sabdo me bandhna mushkil hota hai...galtiyo or kamiyo ko batate chaliyega...love u.
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