दिल से
नमस्कार नहीं बस प्यार दोस्तों ,
स्टार गोल्ड सेलेक्ट चैनल पर आज ' आईलैंड सिटी ' (फिल्म) देखते हुए इंसानी रिश्तों का एक नया रूप देखने को मिला ....' डिअर जिन्दगी ' शायद देखी हो आपने , बहुत नाम और दाम नहीं कमाया इस फिल्म ने, पर यकीं मानिये मेरे दिल और जज्बातों को छुआ इसने ....असल में नौकरी और पद बदलने के बाद से अपने आप के साथ वक़्त गुजरने का बहुत मौका मिला (या कहिये की जिंदगी में अकेलापन बढ़ गया )और फिर लगा की ऐसा बहुत कुछ है ,जो हम खुद के बारे में एक लम्बी जिंदगी जी लेने के बाद भी नहीं जान पाते या शायद जानना चाहते भी नहीं .....या के हम जानबूझ कर अपने आप को ही नजर अंदाज़ करते हैं .....मुझे लगता है चीजो से आँख फेरना ,,सच्चाई से मुहँ चुराना.. ये सब इंसानी फितरत है ....क्योकि हम इतने daring भी नहीं होते की अपनी ही कमियों , चाहतो , नफरतो या इच्छाओ को खुल कर जाहिर कर पायें .....मेरे शब्दों में जाहिर कर रही हूँ .....
"उस दिन ही हम खुल कर जियेंगे ,
जब ये डर न होगा की 'लोग क्या कहेंगे ' "
" जिन्दगी फ़िक्र न कर , चलती रह मद्धम मद्धम
तेरी साँस और मेरे काश साथ ही होंगे ख़तम ...."
" दिल ने गवाही दी है , तो सच ही होगा ,
दिमाग तो चार किताबें पढ़कर बातें बनाना सीख गया है "
कमेन्ट तो नहीं पर कॉल के जरिये ही ज्यादा आपका प्यार और प्रोत्साहन मुझ तक पहुचं रहा है ....उसके लिए दिल से शुक्रिया
कल ही तारीफों के बीच एक दोस्त बोली " चलो कैसे भी आप अपने मन की कुछ बात कह लेती हैं...अब इश्क मोहब्बत की शायरी की हमारी उम्र भी नहीं है "....पर मुझे ये बात महसूस हुई की हम किसी को पसंद करने की बात को कुबूलना भी शर्म समझते हैं (उम्र का भी उसमे अपना रोल है वैसे )..... पर क्यों????? क्या हम गुस्सा करना , इच्छा करना, सपने देखना बन्द कर देते हैं ??? क्या हम अपनी पैसो की , अच्छे कपड़ो की , बड़ी गाड़ी की etc. etc. etc. चाहतो को खुलकर जाहिर नहीं करते ...." हम गुस्सा करते हैं , हम चिल्लाते हैं , हम गाली भी देते हैं , हम जी भर- भरकर लोगो की बुराई भी करते हैं ,पर हम किसीको पसंद करते हैं ये बात आप मे से कितने लोग कह सकते हैं, किसी फ़िल्मी अदाकार को पसंद करना ,क्या ये नहीं बताता की खुदा की बख्शी नेमतो में एक प्यार करना भी है , पर सच तो ये है की न तो हम ये जाहिर करते हैं न किसी की इस साफगोई को तमाम उन खूबियों की तरह बर्दाश्त कर पाते हैं जो खुदा ने हमे नवाजी हैं ...जनाब जिगर चाहिए ...ईमानदारी से सोचियेगा ..क्योकि आप जानते हैं यहाँ बात दिल और जज्बातों की है ....
कुछ शायरी दिल की ...आपसे साझा कर रही हूँ ...अच्छी लगे तो प्यार भेजिएगा
"महज एक रस्म थी , बदस्तूर निभाते चले गए
गर चाहत भी होती तो , दिलो जान लगा देते "
" शिकवे शिकायतों ने मिजाज़ रुखा कर दिया
वरना इश्क की गली में चर्चे , अपने भी आम थे "
खुल के जियो ...अपने आप से तो कम से कम ईमानदार रहो ...पसंदों, ख्वाहिशो, चाहतो को जिन्दा रखो ....आज के लिए बस इतना ही ....
अपना ख्याल रखियेगा .
स्टार गोल्ड सेलेक्ट चैनल पर आज ' आईलैंड सिटी ' (फिल्म) देखते हुए इंसानी रिश्तों का एक नया रूप देखने को मिला ....' डिअर जिन्दगी ' शायद देखी हो आपने , बहुत नाम और दाम नहीं कमाया इस फिल्म ने, पर यकीं मानिये मेरे दिल और जज्बातों को छुआ इसने ....असल में नौकरी और पद बदलने के बाद से अपने आप के साथ वक़्त गुजरने का बहुत मौका मिला (या कहिये की जिंदगी में अकेलापन बढ़ गया )और फिर लगा की ऐसा बहुत कुछ है ,जो हम खुद के बारे में एक लम्बी जिंदगी जी लेने के बाद भी नहीं जान पाते या शायद जानना चाहते भी नहीं .....या के हम जानबूझ कर अपने आप को ही नजर अंदाज़ करते हैं .....मुझे लगता है चीजो से आँख फेरना ,,सच्चाई से मुहँ चुराना.. ये सब इंसानी फितरत है ....क्योकि हम इतने daring भी नहीं होते की अपनी ही कमियों , चाहतो , नफरतो या इच्छाओ को खुल कर जाहिर कर पायें .....मेरे शब्दों में जाहिर कर रही हूँ .....
"उस दिन ही हम खुल कर जियेंगे ,
जब ये डर न होगा की 'लोग क्या कहेंगे ' "
" जिन्दगी फ़िक्र न कर , चलती रह मद्धम मद्धम
तेरी साँस और मेरे काश साथ ही होंगे ख़तम ...."
" दिल ने गवाही दी है , तो सच ही होगा ,
दिमाग तो चार किताबें पढ़कर बातें बनाना सीख गया है "
कमेन्ट तो नहीं पर कॉल के जरिये ही ज्यादा आपका प्यार और प्रोत्साहन मुझ तक पहुचं रहा है ....उसके लिए दिल से शुक्रिया
कल ही तारीफों के बीच एक दोस्त बोली " चलो कैसे भी आप अपने मन की कुछ बात कह लेती हैं...अब इश्क मोहब्बत की शायरी की हमारी उम्र भी नहीं है "....पर मुझे ये बात महसूस हुई की हम किसी को पसंद करने की बात को कुबूलना भी शर्म समझते हैं (उम्र का भी उसमे अपना रोल है वैसे )..... पर क्यों????? क्या हम गुस्सा करना , इच्छा करना, सपने देखना बन्द कर देते हैं ??? क्या हम अपनी पैसो की , अच्छे कपड़ो की , बड़ी गाड़ी की etc. etc. etc. चाहतो को खुलकर जाहिर नहीं करते ...." हम गुस्सा करते हैं , हम चिल्लाते हैं , हम गाली भी देते हैं , हम जी भर- भरकर लोगो की बुराई भी करते हैं ,पर हम किसीको पसंद करते हैं ये बात आप मे से कितने लोग कह सकते हैं, किसी फ़िल्मी अदाकार को पसंद करना ,क्या ये नहीं बताता की खुदा की बख्शी नेमतो में एक प्यार करना भी है , पर सच तो ये है की न तो हम ये जाहिर करते हैं न किसी की इस साफगोई को तमाम उन खूबियों की तरह बर्दाश्त कर पाते हैं जो खुदा ने हमे नवाजी हैं ...जनाब जिगर चाहिए ...ईमानदारी से सोचियेगा ..क्योकि आप जानते हैं यहाँ बात दिल और जज्बातों की है ....
कुछ शायरी दिल की ...आपसे साझा कर रही हूँ ...अच्छी लगे तो प्यार भेजिएगा
"महज एक रस्म थी , बदस्तूर निभाते चले गए
गर चाहत भी होती तो , दिलो जान लगा देते "
" शिकवे शिकायतों ने मिजाज़ रुखा कर दिया
वरना इश्क की गली में चर्चे , अपने भी आम थे "
खुल के जियो ...अपने आप से तो कम से कम ईमानदार रहो ...पसंदों, ख्वाहिशो, चाहतो को जिन्दा रखो ....आज के लिए बस इतना ही ....
अपना ख्याल रखियेगा .
Kya baat hai mam... M just speechless
ReplyDeletethank u so very much dear....sath banaye rakhna
DeleteAwsm lines mam .. specially the Poem..����
ReplyDeletePlzz share some motivational stories ����
thanks for appreciation dear...next post will surely of ur choice..stay in touch
DeleteIsland city...असली ज़िन्दगी के बिलकुल करीब ...शब्दों को पिरोना आता है तुम्हे ..👌👌👌👌
ReplyDeleteIsland city...असली ज़िन्दगी के बिलकुल करीब ...शब्दों को पिरोना आता है तुम्हे ..👌👌👌👌
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