आईना

नमस्कार नहीं बस प्यार दोस्तों ,

हर पोस्ट के साथ आपका साथ ,आपका  प्यार और  बढ़ने की उम्मीद थी ,पर कहीं  कुछ है जो जुड़ नहीं पाया ....शायद दिल या जज्बात ....फिर भी एक आस है कि हम लोग लम्बे समय के साथी बनेगें ....

वैसे आजकल कहाँ हम सही मायनो में जुड़े हुए हैं , मन के तारो से ज्यादा मोबाइल के नेटवर्क और इन्टरनेट है जो हमे साथ रखने का कारण है , और ये साथ भी मन का भ्रम है खुद से पूछिए फेसबुक या whatsapp पर कितनी बार आप सही या सच्चे मन से लाईक का बटन दबाते हैं या मन के सच्चे भावों वाली स्माइली  क्लिक करते हैं .....ईमानदारी से सोचियेगा क्योकि सोचने की आज़ादी अभी भी ख़तम नहीं हुयी है ...एक वो ही हमारी असली ऐसी मिलिकियत है जिसमें  किसी का दखल नहीं है  ....ख्यालो को गुलाम बनने भी मत दीजियेगा, नहीं तो कंगाल हो जायेंगे .

एक अकेलापन , पसंद किये जाने की भूख ,भीड़ का हिस्सा बनने की ललक और साथ ही तारीफ पाने की चाह ... ही है जिन्होंने  सेल्फी , फेसबुक , Whatsapp . Tindel (not sure abt name) और न जाने क्या क्या ईजाद करवाया है ...हम सोचते हैं हम जुड़ रहे हैं पर अब तो हम और दूर हो रहे हैं क्योकि हमारे पास बात न करने, लम्बे सन्देश न टाइप करने के सौ  बहाने हैं क्योंकि  उनके  रेडीमेड विकल्प (टाइप्ड सन्देश ,स्माइली, फोटो इत्यादि ) मौजूद हैं ...

हम अक्सर इस पर चर्चा करते हैं .(.वैसे हम बस चर्चा ही तो करते हैं चिंतन और समाधान तक तो पहुँच ही नहीं पाते )  और इस बुरी लत के शिकार लोगो पर हँसते हैं , उनके  कार्टून देखते हैं  और व्यंग भी कसते हैं ...
पर इसके मोह से खुद भी अलग नहीं हो पाते ...सोचा है क्यों ...क्योकि अकेलापन हम सब पर हावी है ...हम अब सामाजिक प्राणी नहीं रहे ...हम स्वार्थी , मतलब परस्त , चालाक और अवसरवादी है ...साथ ही हम चाईनीज़ सामान की तरह ऊपर से चमकदार, सजे धजे और बनावटी है और अंदर से  खोखले और कामचलाऊ ....इसीलिए हम किसी से खुलकर , अपनेपन से , दिल से और जिन्दादिली से नहीं मिलते ...और नतीजा है 'अकेलापन '....
किसी शायर की लाइने उधर ले रही हूँ ...'हर तरफ हर जगह बेशुमार आदमी , फिर भी तन्हाईयो का शिकार आदमी '.

चलिए मूड को थोडा बदला जाये मेरे शब्दों के साथ .. ...

"हंसने के लिए आजकल  , लाफ्टर क्लब जाते हैं
जो लोग फेसबुक और नेट पर हजारो दोस्त बनाते हैं "

" न आग का दरिया है , न डूब के जाना है
इस दौर में मोह्ब्बत का , बस इतना फ़साना है,
फलानी से हुआ ब्रेकप , फलानी को पटाना है "

"जिंदगी जिनकी अकेले , अंधेरो में गुजरती है ,
वो लोग अक्सर मोहब्बत को , इबादत का दर्ज़ा देते है "

सामाजिक प्राणी होने के नाते हम सबकी कमोबेश एक सी ख्वाहिशे हैं , पर दुसरे को कमतर , गलत और छोटा दिखाने की होड़ हम पर इतनी काबिज़ है कि हमने इंसानी जज्बातों को दरकिनार कर  दिया है...

खुद को आईना दिखाने की कोशिश के साथ .....आज के लिए बस  इतना ही ....


अपना ख्याल रखियेगा ..... 

Comments

  1. Bahut sahi kaha ma'am zindagi ki sacchai yei hai aur log shayad isi mein khush bhi hai

    ReplyDelete
  2. Naam to nahi jaan payi apka per padhne , dhyan dene ke sath apke shabdo ke liye bhi bahut dhanyawad.

    ReplyDelete
  3. Mam your blog was just awesome..👍👍

    ReplyDelete
    Replies
    1. Believe me your response has strengthened my urge to write and share something with those who can get me the way I write.....THANKS. Stay in touch.

      Delete
  4. Kuch hatkar , kuch alg dikhne ki chahat ne hi hm sbko bdl diya h ... Wqt bdlta aya h .. Kl ka wqt ajke wqt ko kosta hai , to ajka wqt kl ke wqt ko kosega , ye bdlaav ka bazaar hmne hi banaya h aur hme hi is jhoote rishto ke karobaar ko chlana hai .. Bdw ma'am kaafi acha lga apke blog ko pdhkr , jo sb kuch mnn me tha wo sb apne likh diya 😊

    ReplyDelete
    Replies
    1. puri tarah se sahmat hu tumhare vicharo se , waise bhi parivartan jivan ka satat niyam hai,
      jo parivartan ka hissa nahi banta wo jivan ki daud me ya pichhad jata hai ya phir isse bahar ho jata hai....burai badlaw ko apnane me katai nahi hai , bas uska gulam ho jane me or usake chalte jiwan me samvednao ko khatam kar dene me hai, har sikke ke do pahloo ki tarah parivartan bhi khoobiyo or khamiyo se bana hai , or ye bhi puri tarah sach hai ki badlaw samay ki mang hoti hai ,par apne vivek ko mar dena or navinikaran ke naam per mashinikaran apnaker hum khud hi pareshaniyo me pad jate hain.......tumhare vichar padhker achchha laga...bachche bade or samajhdar ho gaye hain, ye baat man ko khush karti hai.

      Delete
  5. सटीक व्याख्या है किन्तु इसके साथ तुम्हारी जवाबदारी बढ़ जाती है निरंतरता बनाए रखने की और तुम्हारे युवा पाठकों की जिम्मेदारी भी उसे समझने की

    ReplyDelete
  6. apki salah sar mathe per....puri koshish rahegi jimmedari or nirantarta banaye rakhne ki....

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

साक्षर या शिक्षित