सुकून

 प्यार भरा नमस्कार दोस्तों ,


'सुकून ' , आज के परिवेश में बहुत आम और अकसर जुबां पर आने वाला शब्द , शायद इसलिए कि कमोबेश हम सभी को इसकी तलाश है ....कारण सबके अपने - अपने और अलग - अलग हैं , पर अंत में ढूढ़ते सभी सुकून ही हैं ....मसलन कम कमाई  , पारिवारिक  कलह  , रोज-रोज की भाग दौड़ भरी जिंदगी से उकताहट , कैरियर में आगे बढने की होड़ , विलासी जीवन जीने की चाह , बच्चों के भविष्य की चिंता , जीवन में प्यार  और अपनेपन का अभाव , शारीरिक से ज्यादा मानसिक थकान , अनजाना तनाव  और यहाँ तक की लम्बी चौड़ी कमाई और नौकर की फ़ौज रखने वालो को भी इसी एक अमूर्त वस्तु  की तलाश है ....ईमानदारी से सोचियेगा ... इस फेहरिस्त में कहीं न कहीं आप अपने को भी पाएंगे.....अपने विचारों से अवगत कराईयेगा, शायद मेल खा जाएँ .....मेल न भी हो तो बातचीत से ही सुकून  मिलेगा 

और शायद हमारी सुकून की इसी चाह ने वर्तमान समय में इन्टरनेट पर मोटिवेशनल स्पीच  , टी.वी. और यु ट्यूब पर धर्मगुरूओ के प्रवचन , जगह - जगह पर सत्संग के आयोजन , लाफ्टर क्लब , काऊंसलर की दुकानदारी और दिमाग को शांत रखने वाली दवाओ के बाज़ार और देश - विदेश में समय-समय पर भ्रमण को अचानक बढ़ावा दिया है ....किसी भी  एक या दूसरे तरीके से हम कुछ समय शांति और सुकून से  बिताना चाहते हैं ....पर क्यों है ये चाह ...सोच कर देखिये ...क्या ऊपर लिखी बातों के लिए  हम ,हमारी आकांक्षाये , दूसरो से अनावश्यक अपेक्षाएं , अपने अपने क्षेत्रों में अनजानी प्रतियोगिताएं , ' स्पेस ' के नाम पर अधिक स्वतंत्रता पाने की इच्छा आदि ही तो इसके मूल में नहीं हैं ....

असल में बाहर कुछ नहीं है ...सब कुछ हमारे अन्दर है , बेचैनी भी और सुकून भी , ये  भाव हैं , ये मानसिक  स्तिथियाँ हैं और सबसे बड़ी बात ये हमारे नियंत्रण में भी हैं (बशर्ते हम इनको नियंत्रित करना चाहें ) ..
अगर हम थोडा भी सजग , संतुलित और सहज रहें तो शायद ये तलाश रहे ही न , शायद  सुकून  हमारी प्रव्रती ही  बन जाए... 

" पहले तो लाद लेता है इन्सान , जूनून पर जूनून  
फिर थक कर तलाश करता है , सुकून.. सिर्फ सुकून "


अपनी ही सोच , सामंजस्य और संतुलन को बेहतरी की ओर ले जाने की सलाह के साथ ......आज के लिए बस इतना ही ......


अपना ख्याल रखियेगा ........

Comments

  1. Sahi kaha mam......Chahat badti jati hai . .aur waqt hi nahi milta...ki sukun ke saath khuch nahi to chai ki chuskiyo ke saath paper padey.

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  2. Well articulated. Kahi na kahi jeewan me 'thoda aur' hasil karne ki daud me hum sab chahe anchahe sukoon se dur bhagte rahte hain ya sukoon hi dur bhag jata hai... Kuch imp lines hain isi mudde pe..share karna chahunga.....
    जीते तो सभी हैं, पर सुकून भरा जीवन कितने लोग जीते हैं, यह सोचने की बात है। हर दिन वही भागदौड़, वही तनाव…जिंदगी में खुशियां रूठती चली जाती हैं। लेकिन आठ सीढ़ियां हैं, जिन पर चलकर आप मंजिल पा सकते हैं, सुकून महसूस कर सकते हैं और सबसे बड़ी बात कि आप हमेशा खुश रह सकते हैं।
    1. ना खोएं आत्‍मविश्‍वास
    2. अपना नजरिया बदलें
    3. जरूरी है भावनाओं का संतुलन
    4. इस क्षण (आज) में जिएं
    5. सकारात्‍मक सोच विकसित करें
    6. खुद को स्‍वीकारें
    7. बदलाव से ना घबराएं
    8. लक्ष्‍य बनाएं

    Hopefully koi na koi baat kisi na kisi ke kaam ayegi...
    Sukoon ke bina zindagi bas ek talash ban jayegi.

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    1. Bahut sunder andaz me apne baat rakhi ...Meri post like Karne or apne jazbat share Karne ka Dil se SHUKRIYA.

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  3. Absolutely right dear for me also sitting with news paper with a cup of morning tea ....is the time full of ' sukun ' . thanks for liking it . stay in touch

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