टीचर

प्यार भरा नमस्कार दोस्तों ,

मेरी बहुत सी प्यारी , करीबी और पुरानी स्टूडेंट्स में से एक है वो ..पर उसका चुलबुलापन उसकी खास पहचान है ..बहुत लम्बे समय तक उसकी टीचर नहीं रही , पर दिल के तार बहुत दूर से भी रिश्ता बनाये हुए हैं ...कल जब उसने फोन पर अपनी खिलखिलाती और अपनेपन से भरी आवाज़ में मेरी पोस्ट को सराहा तो दिल बाग-बाग हो गया .

हमेशा की तरह हमने पुराने दिनों का जिक्र छेड़ा और उसने फिर एक बार स्कूल लाइफ के अपने खट्टे - मीठे  अनुभवों  और अच्छे - बुरे टीचर को याद किया ...और मुझे एक बड़े प्रशन चिन्ह और इस पोस्ट को लिखने की प्रेरणा के साथ छोड़ दिया .....

कितना गहरा और शायद अंतहीन प्रभाव होता है एक गुरु का किसी भी शिष्य के जीवन पर  ...सही कहा भी गया है कि गुरु उस कुम्हार के समान है जो कच्ची मिटटी को आकार देता और पकाता है , और ये भी सही है कि छात्र के व्यक्तित्व निर्माण में सिर्फ एक ही गुरु का हाथ नहीं होता ...लेकिन ये भी कहना गलत नहीं होगा कि एक आदर्श गुरु का सापेक्ष और एक बुरे गुरु का निरपेक्ष प्रभाव बालक के अंतर्मन में सदैव ही रहता है ...

कौन हैं  ये आदर्श गुरु ???...शायद वो जो इस व्यवसाय में स्वयं अपनी इच्छा से हैं , जिनका व्यवहार संयत है , जिनके विचार साफ़ एवं ईमानदार हैं , जिनके लिए कक्षा के छात्र मात्र अतिरिक्त कमाई का साधन नहीं और जो मनोवेज्ञानिक रूप से स्वस्थ भी हैं  ...
 और कैसे होते हैं वो शिक्षक जिनकी भर्त्सना छात्र स्कूल से बाहर होते ही बड़े ही भद्दे तरीके और उन्मुक्त रूप से सरेआम करते है ??? ...शायद ये वो हैं जो इस व्यवसाय में मजबूरी  से हैं और मनोवैज्ञानिक रूप से पूरी तरह शांत , समर्पित और स्वस्थ तो कतई नहीं हैं ....

 बिल्कुल  किसी चिकित्सक के जैसा ही है गुरु का काम भी .... चिकित्सक जिसके समक्ष एक अत्यंत कष्ट और पीड़ा से भरी देह को इस आशा के साथ लाया जाता है कि वो उसका काया कल्प कर देगा ...और एक गुरु के हाथ में भी किसी बालक के अस्तित्व की डोर इसी उम्मीद में थमाई जाती है कि जो घर न दे पाए वो गुरु दे दे और एक विशेष , समझदार , ज्ञानवान व्यक्तित्व का निर्माण कर दे ....दोनों ही के पास लोग असीम भरोसे और विश्वास के साथ आते हैं ...उनकी डिग्री , अनुभव ,  ज्ञान की गहराई और  उनके स्वयं के अच्छा - बुरा होने की जाँच किये बिना....किन्तु क्या इन सभी  मरीजों और छात्रों  के साथ सब जगह न्याय होता है .... ईमानदारी से विचार करिए ...क्योंकि ईमानदारी ही है जो इन पेशों की नीव को पुख्ता करती है ....और यूँ भी जो  हो चुका उसे आप लौटा नहीं पाएंगे लेकिन जो होने वाला है उसमे सतर्क तो हो ही जायेंगे ...

एक लघु कथा जो विगत mother's day  पर एक पुराने छात्र से फ़ोन पर हुयी भावपूर्ण बातचीत के  बाद लिखी ...

"नहीं सर , चाकू का घाव गहरा है और आपको इस उम्र में ज्यादा तनाव लेना भी नहीं चाहिए .इसीलिए आप अस्पताल से दो दिन बाद ही जायेंगे ". बड़े अधिकार से ५५ वर्षीय मास्टर जी के बहुत पुराने छात्र, जोकि अब डाक्टर बन गया था , ने कहा .
अस्पताल के बिस्तर पर लेटे- लेटे मास्टर जी  १० दिन पुरानी  घटना को याद करने लगे .जब विद्यालय के रजत -जयंती समारोह में रीयूनियन के अवसर पर , इस विद्यालय में उनके १८ सालो के कार्यकाल में उनसे पढ़े हुए लगभग ८० % छात्रो की मांग पर उन्हें श्रीफल एवं शाल एवं  विशिष्ट प्रशस्ति पत्र के साथ ' best teacher of the decade ' के सम्मान से सुशोभित किया गया , लगभग सभी सत्र के छात्रो ने उनके लिए दो-दो शब्द कहने की इच्छा जताई थी . इतने प्यार और इतने बड़े सम्मान की उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी , क्योकि उनके हिसाब से तो उन्होंने सिर्फ अपने काम को पूरे दिल और मेहनत के साथ किया था ,बस  .
लेकिन कल काम के प्रति अपनी जवाबदारी और छात्रो के प्रति अपने स्नेह के चलते जब  उन्होंने विद्यालय से घर लौटते हुए , अपने ही स्कूल के दो लडको को एक संकरी गली में सिगरेट पीते  देखा ,तो उन्हें डाटकर अपने ही स्कूटर पर पीछे बिठा कर घर छोड़ने की जिद की और  उनकी तेज आवाज़ और आस-पास इकठ्ठा हुए लोगो को देखकर लडके साथ जाने को तैयार हो गए .
किन्तु मास्टरजी क्या जानते थे कि आज के समय में  उनका स्नेह और परवाह बच्चो के लिए अपमान का कारण  है और नतीजतन पीछे बैठे छात्रो में से एक ने उन्हें चाकू मारकर घायल कर दिया और आधे रास्ते से  भाग गए  ..

मास्टरजी दुःख और से दर्द से करहाते ये सोच ही रहे थे कि क्या उनको मिला सम्मान आज के परिवेश में सही नहीं बैठता ...या अब उन्ही के साथियों ने इस पवित्र व्यवसाय के मायने बदल दिए हैं ..पर अस्पताल में आंख खुलने और डॉ अनुराग के प्यार को देखकर उनके सारे भ्रम दूर हो गये . अब उन्हें पता था कि अस्पताल से निकल कर फिर से  उन्हें अपनी जिम्मेदारी और मुस्तैदी एवं  जवाबदारी के साथ उन बच्चों के लिए निभानी है , जिनको एक सच्चे पथप्रदर्शक की जरूरत है . 


अपने काम की संवेदनशीलता को समझने की इच्छा और इस पोस्ट की प्रेरणा देने वाली की एक तस्वीर के साथ  .......आज के लिए बस इतना ही .......


अपना ख्याल रखियेगा .......
  

Comments

  1. Respect your deep thoughts on the auspicious relationship between a teacher and students. Good going.....the short story if its not a true story calls for a more logical end to look complete..... All the best

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  2. Thanks for the compliment...some stories don't have a perfect end but a complete sense ...they leave a question behind ... grateful for the best wishes.

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    1. I think now the story makes a sense at the end... thanks for the positive suggestions.

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  3. Maano to bahut khaas relation hota hai teacher aur student ka.bahut khoob likha aapne. Apne jazbato k zariye har kahi se hume motivate karne ke liye shukriya
    Monika

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    1. sahi kaha bahut khas hai ye rishta.... samajhne or sarahne ke liye bahut bahut shukriya .

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