शब्द
प्यार भरा नमस्कार दोस्तों ,
आज काफी दिनों बाद आपसे मुखातिब हूँ , कुछ मस्रुफ़ियतें थी और कुछ जिंदगी में एक बार फिर से किसी ऐसे रिश्ते (जिसकी भरपाई नहीं हो सकती )का साथ छूटने का गम और उदासी थी , कि आपसे बात नहीं हो पाई , माँ-पापा के बाद सासु माँ और अब ससुर जी के देहावसान ने मन को बहुत दुखी किया . इत्तेफाक़ ऐसा है कि किसी को भी आखिरी प्रणाम नहीं कर पाई ....बस सबसे आखिरी मुलाक़ातें और उनकी आखिरी बातें ही याद हैं .....उनकी बातें जो शब्द - शब्द बन दिमाग में चलती हैं और मन को झकझोरती हैं ....अपनी श्रध्हांजलि अर्पित करती हूँ सबको .
'शब्द ' बहुत करामाती , करिश्माई होते हैं ....गर ये नश्तर हैं , नासूर हैं , जहर हैं....तो ये राहत हैं , दवा हैं और सुकून भी हैं . जीते जी मार देने की ताक़त है तो जिला देने का हुनर भी है इनमें ....बस फ़र्क है तो इस्तेमाल में ...
' ये बिलकुल बेकार है , इसके बस का कुछ नहीं '..' तुम रहने दो भाई तुमसे कुछ न होगा , धरती के बोझ हो तुम'..' भगवान ने क्या सोचकर तुम्हे बनाया है ' ..' तुमसे तो फलां - फलां ही बेहतर है '.... यूँ तो ये कुछ ही शब्द हैं जो हम कभी आत्माभिमान में , कभी गुस्से में , कभी घमंड में या कभी अनजाने में कह जाते हैं लेकिन कभी सोचा है कि जिन कानों में हम ये सीसा उड़ेल रहे हैं उन पर क्या बीती होगी , जिस व्यक्तित्व को हमने नाकारा है उसका तो अस्तित्व ही खतरे में आ गया होगा ...ईमानदारी से सोचियेगा ...क्योकि तभी आप कभी आपके द्वारा कहे या सुने गए शब्दों का मर्म समझ पाएंगे और शायद अपने शब्दों को सही-गलत के तराजू में भी तोल पाएंगे...
खराब रिजल्ट आने पर भी माँ-बाप के सहानुभूति भरे शब्द , बीमारी से उकताए मरीज़ को डाक्टर के दो मीठे शब्द , थकी हुयी बीवी को पति के प्यार भरे शब्द , बुढे माँ- बाप को इज्जत के कुछ शब्द , अपनी कमजोरी से शर्मिंदा डरे सहमे बच्चे को टीचर के दो प्रोत्साहन भरे शब्द , नौकरी और ऑफिस की झिक-झिक से परेशान पति को बीवी के सांत्वना भरे शब्द , घर ऑफिस के नौकर या चपरासी को धन्यवाद् के कुछ शब्द ..... कमाल कर जाते हैं (आपको भी ऐसा लगता है ना )......
' पत्थर हैं , हैं फूल भी
राहत हैं , हैं शूल भी
मीठे हैं , हैं कड़वे भी
कर देते हैं दूर , तो रखते हैं जकड़े भी
शब्द हैं साहब , इस्तेमाल - इस्तेमाल की बात है .'
अगली बार अपने लफ्जों (शब्दों ) को दिल और दिमाग के तालमेल के साथ ही जुबां पर लाने की गुजारिश के साथ........आज के लिए बस इतना ही ....
अपना ख्याल रखियेगा .....
आज काफी दिनों बाद आपसे मुखातिब हूँ , कुछ मस्रुफ़ियतें थी और कुछ जिंदगी में एक बार फिर से किसी ऐसे रिश्ते (जिसकी भरपाई नहीं हो सकती )का साथ छूटने का गम और उदासी थी , कि आपसे बात नहीं हो पाई , माँ-पापा के बाद सासु माँ और अब ससुर जी के देहावसान ने मन को बहुत दुखी किया . इत्तेफाक़ ऐसा है कि किसी को भी आखिरी प्रणाम नहीं कर पाई ....बस सबसे आखिरी मुलाक़ातें और उनकी आखिरी बातें ही याद हैं .....उनकी बातें जो शब्द - शब्द बन दिमाग में चलती हैं और मन को झकझोरती हैं ....अपनी श्रध्हांजलि अर्पित करती हूँ सबको .
'शब्द ' बहुत करामाती , करिश्माई होते हैं ....गर ये नश्तर हैं , नासूर हैं , जहर हैं....तो ये राहत हैं , दवा हैं और सुकून भी हैं . जीते जी मार देने की ताक़त है तो जिला देने का हुनर भी है इनमें ....बस फ़र्क है तो इस्तेमाल में ...
' ये बिलकुल बेकार है , इसके बस का कुछ नहीं '..' तुम रहने दो भाई तुमसे कुछ न होगा , धरती के बोझ हो तुम'..' भगवान ने क्या सोचकर तुम्हे बनाया है ' ..' तुमसे तो फलां - फलां ही बेहतर है '.... यूँ तो ये कुछ ही शब्द हैं जो हम कभी आत्माभिमान में , कभी गुस्से में , कभी घमंड में या कभी अनजाने में कह जाते हैं लेकिन कभी सोचा है कि जिन कानों में हम ये सीसा उड़ेल रहे हैं उन पर क्या बीती होगी , जिस व्यक्तित्व को हमने नाकारा है उसका तो अस्तित्व ही खतरे में आ गया होगा ...ईमानदारी से सोचियेगा ...क्योकि तभी आप कभी आपके द्वारा कहे या सुने गए शब्दों का मर्म समझ पाएंगे और शायद अपने शब्दों को सही-गलत के तराजू में भी तोल पाएंगे...
खराब रिजल्ट आने पर भी माँ-बाप के सहानुभूति भरे शब्द , बीमारी से उकताए मरीज़ को डाक्टर के दो मीठे शब्द , थकी हुयी बीवी को पति के प्यार भरे शब्द , बुढे माँ- बाप को इज्जत के कुछ शब्द , अपनी कमजोरी से शर्मिंदा डरे सहमे बच्चे को टीचर के दो प्रोत्साहन भरे शब्द , नौकरी और ऑफिस की झिक-झिक से परेशान पति को बीवी के सांत्वना भरे शब्द , घर ऑफिस के नौकर या चपरासी को धन्यवाद् के कुछ शब्द ..... कमाल कर जाते हैं (आपको भी ऐसा लगता है ना )......
' पत्थर हैं , हैं फूल भी
राहत हैं , हैं शूल भी
मीठे हैं , हैं कड़वे भी
कर देते हैं दूर , तो रखते हैं जकड़े भी
शब्द हैं साहब , इस्तेमाल - इस्तेमाल की बात है .'
अगली बार अपने लफ्जों (शब्दों ) को दिल और दिमाग के तालमेल के साथ ही जुबां पर लाने की गुजारिश के साथ........आज के लिए बस इतना ही ....
अपना ख्याल रखियेगा .....
शब्दों की ताकत को कम शब्दों में बहुत सुन्दरता से बयान किया हैं ...
ReplyDeleteऔर आपके शब्दों ने फिर एक बार बहुत प्रोत्साहित किया है
DeleteAapke blogs hum roz padhte hai. Inse sach mein bahut motivation milta hai life ke baate mein. Thank u ma'am really
ReplyDeleteMonika goyal
thank u so much....कुछ अच्छा लिख पाऊँ ये ही हमेशा कोशिश रहती है.
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