मेरी कलम से

प्यार भरा नमस्कार दोस्तों ,

चलिए आज कुछ अलग  बात करते हैं ...आज अपनी लिखी कुछ गज़लें आपके साथ साझा कर रही हूँ ...पसंद आये तो दाद भेजिएगा .....न आये तो आपकी सलाह का भी इन्तजार रहेगा ....आपका किसी भी तरह का जवाब आपसे बने रिश्ते की बानगी ही होगा ... 
                                              ' असर '

' सोहबतें शख्सियतों पर करती हैं असर ,
माँ -बाप के साथ थे , थे अल्हड़ बेफिकर

सोहबतें  शख्सियतों  पर करती हैं असर,
यारों के साथ थे , थे नाशुकरे  मस्तकलंदर

सोहबतें शख्सियतों पर करती हैं असर,
जब से तेरे साथ हैं ,अलेहदा फिरतें हैं  दर बदर

न इतने ऐब निकाल मुझमें  तू , दुनिया कहती है
कि सब तेरी ही , सोहबत का है असर ' .
                             
                                            *****************************
                                       ' दिसम्बर '

'दिसम्बर आ गया है
           मोमबत्तियाँ  खरीद ली हैं
चलो फिर से चलें
       पुरानी  निर्भया  को याद करने
नई निर्भ्याओ की लुटी असमत  का मातम मनानें

दिसम्बर आ गया है
         मोमबत्तियाँ खरीद ली हैं
चलो गिरजे चले मदर मैरी से कहने कि
         आज के बेटोंको भी  ,यीशु बना दे

दिसम्बर आ गया है
         मोमबत्तियाँ खरीद ली हैं
चलो अब दिलो में जलाये
        इंसानियत का करें उजाला कि
हैवानियत भाग जाये ,

 फ़िर  कोई और निर्भया न बनाई जाये  '.

                                             ********************

शेर अर्ज़ हैं ......

' मिल्कियतें , इनायतें  , शिकायतें  , मोह्ब्बतें , रवायतें
 सब कुछ छोड़ गया
बड़ा ही संगदिल निकला , मरा तो वो अपनी रूह  से भी मुँह मोड़ गया .'.

' मालूम है मुश्किल है , नामुमकिन नहीं है
छोड़ दो जब सबकुछ है ,बस यकीं नहीं है '.

' लत बन जाती है , बना लेती है मुरीद
कमबख्त बहुत बुरी शै है , ये ' उम्मीद ' .

जज्बातों का इज़हार करने की एक अलग कोशिश के साथ ......आज के लिए बस  इतना ही ..


अपना ख्याल रखियेगा .....




   



Comments

  1. Very well expressed... .. especially sohbatein and ummid....two observations...
    1. In dec poem the last para and last two lines have something missing...please read through...i may b wrong
    2. In First sher....it wud hv been a better way to say ki marne k bad wo apni rooh se b muh mod gaya....jism se muh modna is but natural...
    Keep writing keep fighting

    ReplyDelete
    Replies
    1. Thank you so much for appreciation......and sparing time for observations.
      1.Have tried to make changes in Dec. ,hope it will make a complete sense now.
      2.Amendment is done in sher also .
      Will keep on trying , Stay in touch.

      Delete
    2. Yeah....now its complete package.....all d best for d next.

      Delete
    3. दिसम्बर आ गया है
      मोमबत्तियाँ खरीद ली हैं
      चलो अब दिलों में जलाये
      दीप इंसानियत का... करें वो उजाला कि
      हैवानियत भाग जाये ,

      Delete

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