It's O.K.
'' अरे यार ! गाड़ी ठीक से लगा दे , दूसरी गाड़ियाँ कैसे निकलेंगी "? ...."अरे भाई आप अपना सामान थोडा एडजस्ट कर लीजिये गाड़ी में दूसरी सवारियों को दिक्कत होगी ". ...."सुनिए ! कचरा डिब्बे में डाल दीजिये , यहाँ फालतू में गन्दगी फैलेगी ''. ....."मैडम ! बच्चा ठीक से पढ़ नहीं रहा थोडा ध्यान रखिये ना ''!...."ये खाना बासी है , बुढ्हो को तो नुकसान करेगा ". ...." अरे यहाँ क्यों थूक दिया , पूरी दीवार गन्दी कर दी ''. ....''भाईसाहब लाइन में आ जाइये , बाकि लोग भी काफी देर से खड़े हैं ". ..."बेटा पढाई पर ध्यान दो तुम्हारा रिजल्ट बिगड़ता जा रहा है''. ....'' मैडम देखिये ना आपके बच्चे पडोसी के सामान का नुकसान कर रहे हैं ''...." सर !आपका चपरासी बीमार है उससे इतना काम नहीं हो पायेगा ''. ''कचरा मत डालिए नाली चोक हो जाएगी ''. '' आवाज़ कम कर लीजिये इतना जोर से डी. जे . बजायेंगे तो आस-पास वालो का क्या हाल होगा ''. '' कम खाना परोसिये , क्यों बर्बाद कर रहे हो ''. ...इत्यादि , इत्यादि , इत्यादि ....
प्यार भरा नमस्कार दोस्तों ,
क्या ऊपर लिखे संवाद कभी अपने सुने या कहे हैं ? जरूर/ बेशक ...ये ही आपका जवाब होगा ..ऐसी उम्मीद ही नहीं ,जाने क्यों विश्वास है मुझे ...और जानते हैं हम में से अधिकतर भारतवासियों का इन बातों जवाब होता है ..''अरे यार ठीक है ''! ...'' Its ok yaar ''!...या फिर एक और विकल्प है...''ठीक है चलता है ''!
ईमानदारी से सोचियेगा ..क्योकि तभी आप इस लापरवाही , गैर - जिम्मेदारी , चालूपन , स्वार्थीपन और कतई ओछे व्यहवार का सही मूल्याङ्कन कर पाएंगे .
क्यों हैं हम ऐसे ...क्या आपको नहीं लगता हमारे समाज के पिछड़ेपन का एक कारण ये अति-दोषपूर्ण जुमला ही है... जो हमारे काफी हद तक ढीठ , बेशर्म और बद-तमीज होने की निशानी है , हम लापरवाह हैं ...दूसरों के प्रति हमारी जवाबदारियों में , हम असंवेदनशील हैं ... दूसरों की भावनाओं के प्रति , हम पूरी तरह निसोच हैं ... दूसरों के दुखो के प्रति , हम अकडू हैं ...दूसरों के काम के प्रति .....इत्यादि , इत्यादि , इत्यादि ...
हम ऐसे हैं क्योकिं शायद हमारी परवरिश के समय ही हमे थोडा स्वार्थी बनाया जाता है या दूसरों के लिए एक अनजानी चिढ़ पैदा कर दी जाती है ....ये कह - कहकर कि ....जल्दी फिनिश करो नहीं तो फलाना ले लेगा , ऐसा मत करो सब लोग हसेंगे , ऐसा करोगे तो सब कहेंगे गन्दा बच्चा है .....इस सबसे या तो इंसान का व्यक्तित्व दब जाता है या वो लापरवाह हो जाता है या फिर वो इन सब महतवपूर्ण लोगो (जोकि उसके घरवालों के हिसाब से उसके सरे कामों का लेखा - जोखा रख रहे हैं ) बेख़ौफ़ हो जाता है ...और नतीजा आपके सामने है ...
कहीं अपने में कोई कमी हो तो उसीके सुधर की दिशा में एक कदम...(सहमति या असहमति अपने कमेंट के द्वारा प्रेषित करियेगा) ....
आज के लिए बस इतना ही ...
अपना ख्याल रखियेगा......
प्यार भरा नमस्कार दोस्तों ,
क्या ऊपर लिखे संवाद कभी अपने सुने या कहे हैं ? जरूर/ बेशक ...ये ही आपका जवाब होगा ..ऐसी उम्मीद ही नहीं ,जाने क्यों विश्वास है मुझे ...और जानते हैं हम में से अधिकतर भारतवासियों का इन बातों जवाब होता है ..''अरे यार ठीक है ''! ...'' Its ok yaar ''!...या फिर एक और विकल्प है...''ठीक है चलता है ''!
ईमानदारी से सोचियेगा ..क्योकि तभी आप इस लापरवाही , गैर - जिम्मेदारी , चालूपन , स्वार्थीपन और कतई ओछे व्यहवार का सही मूल्याङ्कन कर पाएंगे .
क्यों हैं हम ऐसे ...क्या आपको नहीं लगता हमारे समाज के पिछड़ेपन का एक कारण ये अति-दोषपूर्ण जुमला ही है... जो हमारे काफी हद तक ढीठ , बेशर्म और बद-तमीज होने की निशानी है , हम लापरवाह हैं ...दूसरों के प्रति हमारी जवाबदारियों में , हम असंवेदनशील हैं ... दूसरों की भावनाओं के प्रति , हम पूरी तरह निसोच हैं ... दूसरों के दुखो के प्रति , हम अकडू हैं ...दूसरों के काम के प्रति .....इत्यादि , इत्यादि , इत्यादि ...
हम ऐसे हैं क्योकिं शायद हमारी परवरिश के समय ही हमे थोडा स्वार्थी बनाया जाता है या दूसरों के लिए एक अनजानी चिढ़ पैदा कर दी जाती है ....ये कह - कहकर कि ....जल्दी फिनिश करो नहीं तो फलाना ले लेगा , ऐसा मत करो सब लोग हसेंगे , ऐसा करोगे तो सब कहेंगे गन्दा बच्चा है .....इस सबसे या तो इंसान का व्यक्तित्व दब जाता है या वो लापरवाह हो जाता है या फिर वो इन सब महतवपूर्ण लोगो (जोकि उसके घरवालों के हिसाब से उसके सरे कामों का लेखा - जोखा रख रहे हैं ) बेख़ौफ़ हो जाता है ...और नतीजा आपके सामने है ...
कहीं अपने में कोई कमी हो तो उसीके सुधर की दिशा में एक कदम...(सहमति या असहमति अपने कमेंट के द्वारा प्रेषित करियेगा) ....
आज के लिए बस इतना ही ...
अपना ख्याल रखियेगा......
Behtareen
ReplyDeleteMonika goyal niece krishnika
thank you so much
Delete