MOBILE (Addiction)

प्यार भरा नमस्कार दोस्तों ,

मेरी एक अजीज़ मित्र ने आज अपने मोबाइल फोन से मेरे मोबाइल फोन पर इन्टरनेट के माध्यम से ये सन्देश दिया कि मुझे मोबाइल के बारें में भी एक पोस्ट डालनी चाहिए ...सबसे पहले तो मुझ पर भरोसा करने के लिए उनका दिल से शुक्रिया करना चाहूंगी...आखिर ये उनकी प्रेरणा ही थी कि मैं इस विषय के बारें में अपने विचारों को इक्टठा करके शब्दों के ताने - बाने बुनने लगी ...

पिछले दिनों पहाड़ों पर परिवार के साथ घूमने जाने का अवसर मिला ...ऊँचें - नीचे रास्तों और वादियों में चहल-कदमी करना हमेंशा से लुभावना रहा है ..पर थकान भरा भी है ये ...ऐसे में जब परिवार का एक सदस्य सरदर्द के कारण हमारे साथ नहीं आया तो उसका हाल-चाल पूछने में मोबाइल का इस्तेमाल ही लम्बी चढ़ाई से बचने का एक उत्तम साधन बना , ट्रेन यात्रा के दौरान भी जब नेटवर्क की अनुपलब्धता के कारण अपने बेटे को गाड़ी के देरी से चलने के कारण समय से अवगत करने में असमर्थ महसूस कर रही थी... तब इन्टरनेट के माध्यम से सन्देश छोड़ दिया था और वो व्यर्थ परेशान  होने से बच गया था, करीब ५-६ साल पहले की बात हो गयी लगती है जब मेरे पडोसी के बेटे का आधी रात एक्सीडेंट होने और सड़क पर कोई मदद ना मिलने पर मोबाइल से ही उसने अपने जिगरी दोस्त और परिवार को सूचित कर अपने लिए मदद जुटाई थी , मेरे पास अपनी बहुत सी सुखद यादों का खजाना मेरी वो सारी तस्वीरें हैं जो मोबाइल से बतौर सेल्फी निकली गयी हैं ...

दूसरा पहलू ..... पड़ोसी की लड़की घर से आधी रात से गायब है ..सुना है किसी लड़के के साथ फरार है जिसे उसने मोबाइल से फोन करके बुलाया था , रिश्तेदार का बेटा पिछली बार परीक्षा में फिर भी सप्लीमेंट्री था पर  इस बार तो फेल ही हो गया... सुना है मोबाइल में दिन भर गंदे / अश्लील विडियो देखता था , सीढियों से गिरकर एक पुरुष का पैर टूट गया जो कि 'CANDY-CRUSH' गेम के १२०० स्टेज पार कर चुका था और अगली स्टेज पार करने ही वाला था कि सीढियाँ बीच में आ गयीं , मोबाइल फोन की फ्रॉड कॉल के जरिये मेरे खुद के परिवार के एक सदस्य को तीन लाख का चूना लग गया , दोस्तों के पास स्मार्ट मोबाइल देखकर हीन भावना से ग्रस्त बच्चे ने आखिर घर से पैसे चुराकर मोबाइल खरीद ही लिया , ' BLUE WHALE ' कोई नया नाम नहीं है और जिन माँ-बाप को इसका दंश लगा है वो ही मोबाइल के इस जानलेवा खेल के दर्द को बेहतर समझ सकतें हैं , सेल्फी के चक्कर में पानी में डूबने वालों की ख़बरें भी कोई कम नहीं हैं  ...

सिक्का हो ,परिस्थिति हो , विज्ञान हो , इंसान हो या मोबाइल फोन हर एक के दो पहलू / साइड होतें हैं ...किसी भी चीज़ की खोज शुरुआत में (शायद या हमेशा ही )एक अच्छीऔर उन्नत सोच के साथ और शायद नेक इरादे से भी की जाती है ... पर जैसा की हम इंसानों की प्रवृति है ...अपना नुक्सान खुद करना ...फिर चाहे वो संसाधनों का नाजायज दोहन हो , बिजली- पानी का दुरूपयोग हो , नकली दवाओं का व्यापार इत्यादि हो या आजकल की सबसे बड़ी महामारी ' मोबाइल का गैर-जरूरी और जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल ' जो पूरे समाज को संक्रमित कर रही है...

समाधान क्या है ? क्या आपको नहीं पता है ? क्या आप पूरी तरह अनजान हैं ? ....जी नही ऐसा नही है ...जिस तरह से फिल्मों की शुरुआत या बीच में भी (कभी-कभी ) सिगरेट से होने वाले नुकसानों को आप लोगों को लिखकर बताना पड़ता है , या आपके सर की सुरक्षा के लिए आपको सड़क पर रोककर,आप पर फाइन लगाकर आपको आपकी ही सलामती के लिए हेलमेट पहनने के लिए चेताया जाता है... तो मुझे हंसी और गुस्सा दोनों आतें हैं... ...
अजीब है कि इंसान की इजाद इंसान पर ही  भारी है ...मोबाइल के गुलाम वो लोग भी हैं जो अपने को आला दर्ज़ा , बेहतर और होशियार मानतें हैं .

अगर आप समझदार है तो दिखाइए समझदारी ...अगर आप पढ़े-लिखे हैं तो निकलिए इस के चक्रव्यूह से बाहर ...यदि आपको अपना भला - बुरा समझ में आता है तो फिर क्यों इसको एक लत्त बनाकर अपना  समय ,सेहत ,सफलता और संबंधो की बलि चढ़ा रहें हैं ...ईमानदारी से सोचियेगा छात्रों की सफलता , बच्चों की सेहत , आपका कीमती समय (जो पहले और जरूरी कामों में लगता था ) और हमारे पारिवारिक सम्बन्ध (जो पहले अधिक सरल और सुलझे हुए थे )अब संकुचित हुए हैं या नहीं क्योकिं हम अब मोबाइल के जरिये ही जुड़े हैं बस ..

जरूरत और लत्त में अंतर समझिये ...गुलामी लोगों की ही नहीं आदतों की भी होती है और अगर आप समझते हैं कि कोई ' माई का लाल ' आपको अपने बस में नहीं कर सकता, तो ये अदना सा मोबाइल क्या चीज़ है ...

और बुरी आदतों की तरह mobile addiction से भी अपने को महफूज़ रखने की कोशिश के साथ ....आज के लिए बस इतना ही ...

अपना ख्याल रखियेगा ......
     

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