हम (eves / females) part 2

प्यार भरा नमस्कार दोस्तों,

बहुत अच्छा लगा जब आप शुभ-चिंतकों में से दो ने महिलाओं पर लिखी मेरी पोस्ट को निर्णायक (judgemental) और एकतरफा (one-sided) बताया....यकीं मानिये अपने विचारों को और विस्तार देने और हम सबको दुसरे दृष्टिकोण से भी देखने की प्रेरणा मिली ....दिल से शुक्रिया ...इसी तरह साथ बनाये रखिये ...हम सबको इसकी जरूरत है ...

जहाँ तक मेरा मानना है अपनी पोस्ट को मैंने महिला वर्ग को सिर्फ चुगलखोर या बकवादी ही नहीं माना है ...मेरा खुद का अनुभव उनके इस  रुझान को दर्शाता है ,  और मैं ये भी कतई नहीं मानती की पुरुष पूरी तरह से इस आदत से बेलाग हैं...उन्हें भी अनर्गल चर्चाओं में शामिल देखा जा सकता है ...इसीलिए अपवादों से अपने आपको  परे रखने की गुजारिश की थी ...
तो चलिए बात आगे बढ़ाते हैं...कि आखिर महिलाओं पर ही ये आक्षेप क्यों ? या कहिये कि उन्हें ही इस आदत का धनी क्यों माना जाता है ? शायद इसलिए की उन्हें आगे बढ़ने के मौके कम दिए जाते रहे , उन्हें घर की चार-दिवारी में परिवार , समाज और  जिम्मेदारियों का वास्ता देकर रोके रखा जाता रहा ,,,जिससे उनके अंदर की हसरतें (wishes), कौशल ( skills), ज्ञान (knowledge) और खूबियाँ (traits) सब दब कर रह गए और जो बाहर निकला वो थी (irritation)खिसियाहट (परिवार के लिए जिसने अवसर नहीं जुटाए या जुटाने दिए ).., (envy) ईर्ष्या (उन स्त्रियों से जिन्हें अवसर मिले / या जिन्होंने खुद खोजे ).., (frustration) चिढ़ (समाज से जो पुरुष- प्रधान रहा ).., (depression )अवसाद  (काफी हद तक अपने को कमतर समझाने का ) ..... और इन सबने मिलकर बना दिया औरतों को कमजोर , परतंत्र और आत्मविश्वासहीन ... उसके पास बची तो एक जबान.. जिसको बांध नहीं पाया कोई भी और शायद इसलिए भी  नहीं रोका क्योंकि उससे वो किसी का कुछ बिगाड़ नहीं पायीं... न परिवार का और न ही समाज का ...

लेकिन इस बात से भी कतई इनकार नहीं है कि इसी जबान को जब उन्होंने बुलंद किया , इस जबान को जब उन्होंने अपनी कौम के समर्थन में इस्तेमाल किया और इसी जबान को जब उन्होंने संजीदगी से अत्याचार के विरोध में और नए इरादों और मंसूबों को साझा करने में चलाया तो नतीजे उन्ही के पक्ष में रहे हैं ..

आज ही एक ' MOTIVATIONAL SPEAKER ' के तौर पर जब मुझे एक ऐसे ग्रुप को एड्रेस करना था ,जिसमे हर उम्र , हर तबके और हर तरह की शिक्षित (कम/ज्यादा ) लड़कियां एवं औरतें थी ....जिनमें से लगभग १५% ने इस बात को स्वीकार किया की उनके पास अवसर नहीं थे (और कारण वही थे जिनकी बात हम ऊपर कर चुके हैं )..और आश्चर्य कि बात ये है कि झिझकते हुए उन्होंने ये भी माना कि ' चुगली ' उनका BEST TIME -PASS है ...

अब ऐसे में आप सबसे वो  ही कहना चाहूंगी जो उनसे कहा कि ' अपने बारे में लोगो की धारणा बदलिए और अपने आपमें  POSITIVITY लाईये ...अपनी क्षमताओं को पहचानिए और अपने गुणों के आधार पर अपने को आगे बढाइए ....

मुश्किल कुछ भी नहीं ...बस  इरादे मजबूत , हौसलें बुलंद, जज़्बा नेक और मेहनत की इच्छा होना जरूरी है ..

आज के लिए बस इतना ही ...

अपना ख्याल रखियेगा ...

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