हम ( eves / females)

प्यार भरा नमस्कार दोस्तों ,

आज यूँ हीं मन हुआ अपनी जमात यानि महिलाओं / औरतों (इंग्लिश में बोलें तो )लेडिजो के बारे में बात करने का .... वैसे ये हम महिलायें ही कर भी सकती हैं , क्योकि इस एक ख़ास हुनर से ऊपरवाले ने मर्दों को नही नवाज़ा है..'बतरस 'में और वो भी चुगली या इसकी - उसकी करने में जो मज़ा और अलौकिक आनंद स्त्रीवर्ग को मिलता है उससे ये पुरुषवर्ग सर्वथा ही अनभिज्ञ है ....
ईमानदारी से सोचियेगा क्योकि जो महिलायें हैं.. वो तो स्वयं प्रत्यक्ष प्रमाण हैं और जो पुरुष हैं.. वो यक़ीनन चश्मदीद गवाह हैं ...और यदि ये स्त्रियों पर ईश्वर की विशेष अनुकम्पा हैं ,तो स्वीकारने में संकोच  कैसा ...
वैसे भी पुरुष अपनी प्रजाति में कम और महिला वर्ग में ज्यादा रूचि रखते हैं और महिलाएं भी तो सिर्फ अपनी जाति (महिलाओं) को ही चर्चा का उपयुक्त विषय मानती हैं, (अपवाद हर वर्ग और प्रजाति में होतें  हैं ,सो कृपया इस चर्चा को व्यक्तिगत न समझें ).
  
हाँ तो मेरा मानना है कि ये ढेरों बातें करने की हमारी विशेषज्ञता हमारे लिए कितनी लाभप्रद है ,हम गौर नहीं करतीं ....इस बात से कतई इंकार नहीं की हम सब को भगवान ने कुछ खूबियों से अलंकृत किया है , किन्तु क्या हम उन खासियतों को अपने फायदे में इस्तेमाल कर पाती हैं...कितना व्यर्थ समय सिर्फ दूसरों (खासकर औरतों)  के गुण - अवगुण (ध्यान दें अवगुण पर ज्यादा ), चाल--चलन, आचार - व्यहवार और चरित्र- चित्रण और उसके चिंतन - मनन में लगा देती हैं ...मानव स्वाभाव है, अपने को दूसरों से बेहतर ही समझने का , और स्त्री स्वाभाव है अपने को  सदैव सबसे होशियार , समझदार , सहनशील , सद्-व्यवाहरी और सुघढ़ समझने का....शायद ऐसा इसलिए कि पुरुषो के अहम् के चलते वो स्त्रियों को उचित मान और स्थान नहीं देते , नतीजतन औरत खुद के अस्तित्व की रक्षा में ऐसा आचरण अपनाती है ...
पर ये भी सही है कि हमे पुरुषों से एक आदत तो जरूर सीखनी चाहिए और वो है कम पंचायती होना...मेरा व्यक्तिगत अनुभव कहता है कि आदमियों में लाख खामियां हो सकती हैं पर ये चुगली और दूसरों पर अनर्गल टिप्पणियां करने में वो अपना समय नहीं जाया करते ...शायद इसीलिए 'cool' / शांत  होते हैं ...

जिन औरतों ने अपने इस हुनर को दुसरे क्षेत्रों में मोड़ा है और अपनी energy  को किसी  और दिशा में divert किया है , वो पुरुषो को चुनौती देने और जीवन में सफलता हासिल करते हुए , अपने लिए एक अलग मुकाम बना पाई ...

मै कतई औरतों के मिजाज़ और उनकी बातचीत की आदत का उपहास नहीं कर रही ...पर अक्सर ये जरूर देखा है कि ' kitty party ' हो या सामान्य पार्टी, औरते उसके बाद बहुत सा समय उस दिन दूसरी औरतों द्वारा पहने गए कपड़ों , उनके हाव-भाव और तौर - तरीकों पर टिपण्णी करने में लगा देतीं हैं ...यहाँ तक की gym में आने वाली औरतों के डील-डौल का भी उपहास करतीं हैं ...और जहाँ तक मैं  समझती हूँ GYM तो लोग जाते ही अपने शरीर और सेहत के रख-रखाव के लिए हैं ..... 

चलिए अपने बारें में बनी ये आम राय बदली  जाये ..अपनी बातचीत को कारण और निवारण की तरफ मोड़ दें ...क्यों न अपनी जाति के समर्थन में आगे आयें ...उनकी स्तिथी -परिस्तिथी और चिंता और पेरशानियों पर निशाना साधें ...मजबूत करें अपनी जैसी अबलाओं को ...भागीदार बने positive change की ...

मेरे शब्दों में सम्पूर्ण स्त्रीवर्ग को समर्पित ये कविता .....

''मैं हूँ यशोदा तो , चंडी भी 

  अग्नि के जैसी आंच हूँ तो ,
           हिम के जैसी ठंडी भी 
  गर मैं हूँ कुल की मर्यादा ,
        मेरे जिस्म की लगती मंडी भी
  गर मैं हूँ  परिवारों की रीढ़ ,
        मेरे जिस्म पे चलती डंडी भी ,

 समझौता , समर्थन , प्यार ,
    संस्कार और आचार - विचार 
 सब हैं मेरे ही शृंगार ,
    कर सकती हूँ मैं , पलटवार 
 पर एक क्षेत्र में हूँ लाचार ,
    बदला लेने की खातिर मैं ,
नहीं कर सकती हूँ ' बलात्कार ',

यूँ नहीं मैं बिल्कुल भी महान ,
    पर गर्व है , मैं हूँ सहनशील और धैर्यवान .

मैं स्त्री हूँ  , मैं जननी हूँ ,
  पुरुषों का रचती हूँ संसार 
अपनी इस अद्भुत श्रेष्ठता पर ,
   परमपिता को नमन अपार 

मैं हूँ यशोदा तो , चंडी भी ''.

आज के लिए बस इतना ही ....

अपना ख्याल रखियेगा ......
  


  

Comments

  1. Good concept but this scenario is changing now a days as todays girls are not interested in gossip n all..they r career oriented,self confident n decision maker. Ofcourse exceptionals are there.
    Secondly i think "autaten badnam zyada hai" 😊😊

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    Replies
    1. right ma'am ...I agree ,new generation has new horizon ...they are progressive and out going ...I got inspired by some who surround me ...that's why made it clear in the post only that ' exception are everywhere '... and made a request to all respected ladies to be positive and creative ....

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