बचपन ( यादों का गलियारा )

प्यार भरा नमस्कार दोस्तों ,
अपना बचपन साझा कर रही हूँ आज आपके साथ ....देखते हैं कहीं दिल के तार और ज़ज्बात जुड़ते हैं क्या हमारे बीच... 

                                   ' बचपन '
 बचपन  गुजर जाता है , नही बीत जाता है ......
गुजर तो माँ बाप जाते हैं , वो लौट के जो नही आते हैं
बचपन तो जाता ही नही है , अक्सर ही झांकता है
मन के उस कोने से , ज़िसे हम उम्र के परदे से ढक कर रखते हैं
बचपन झांकता है , गली के बच्चो के शोर से,
गिफ्ट की दुकान से , रंग बिरंगे खिलौनो से
छोटी क्लास की किताबों से , राखी के धागो से
आकाश में उड़ती पतंगों से , पुरानी फोटो अलबम से
बचपन मेरा भी था ...बचपन मुझमें अभी भी ज़िंदा है
सालता है , दुलारता है , रूलाता और पूचकारता भी है
भाई की फ़ोन कॉल से , पुरानी चिटठीयों के अक्षरों से
बेटे के मुझे माँ कहने से , माँ की दी आदतों से ,
पापा की पुरानी घडी से ...मेरा बचपन ...
जो बीत गया है सालों पहले....

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