साक्षर या शिक्षित

प्यार भरा नमस्कार दोस्तों ,

आज न्यूज़ पेपर में साक्षरता के बारें में पढ़ते-पढ़ते अनायास ही मन में एक सवाल कौंधा ....कि क्या अंतर है साक्षर और शिक्षित होने में ...आप में से यक़ीनन बहुत से लोग मेरी बात का अर्थ समझ गए होंगे ...जी हाँ ..हम साक्षरता का प्रतिशत तो बढ़ा रहें हैं पर क्या शिक्षितों की श्रेणी में आ रहे हैं ??????????

अंतर बड़ा है.... और इसे पाट पाना ही असल जीत है ...मेरे अधीनस्थ कर्मचारियों में कुछ चतुर्थ श्रेणी (4th class) भी साक्षर हैं ...और कुछ जो बेहतर ओहदों पर हैं वो साक्षर होकर भी निरक्षर समान ही कोरे कागज़ हैं ... सही समझे आप अपनी तनख्वाह या दैनिक मजदूरी कहीं पर अपना हस्ताक्षर बनाकर (या नाम ही लिखकर) लेने वाले को हम पढ़ा-लिखा (साक्षर) मानते हैं ...कुछ बेहतर सडकों पर लगे फ्लेक्स , दुकानों के बोर्ड , न्यूज़ पेपर की हैडलाइन आदि भी पढ़ लेतें हैं ...पर इनमे से ज्यादातर अपने नियोक्ता (employer) द्वारा बेवकूफ बना लिए जातें हैं ...या नेताओं द्वारा चुनावों में बरगला दिए जातें हैं ...या कार्य स्थलों पर शोषित (शारीरिक ही नहीं , क्योकिं वो तो शिक्षित भी हो जातें है ) किये जाते हैं ...या धोखा - धड़ी और ठगी का शिकार हो जातें हैं ...अस्पतालों में प्रताड़ित किये जातें हैं ...कुल मिलाकर ऐसे बहुत से और तरीकों से कहीं न कहीं पढ़े - लिखे होने के बावजूद मुर्ख बनाये जाते हैं ...और मजे की बात की साक्षरों की दूसरी  जमात (जो शिक्षित हैं ) ही इनका शोषण करती है ..अब आप पढ़े-लिखे और शिक्षित के मेरे अंतर को समझ पाएंगे ..ईमानदारी से सोचियेगा ..क्योंकि तभी आप समाज में इन दो वर्गों के बीच की दूरी और एक के दुसरे पर हावी होने का कारण ठीक जाँच पाएंगे ...

आज ये ही हाल हमारी शिक्षा व्यवस्था का है , हम सब पढ़े-लिखे तो हैं पर असल मायनो में शिक्षित चलिए दूसरा शब्द इस्तेमाल करती हूँ जानकार नहीं हैं ...और ये ही कमजोरी हमें उभरने नहीं देती ...हमारी खूबियां हमारी अल्पज्ञता में दब जाती हैं ...हम खुल के सामना नहीं कर पाते ...और इसीलिए चालाक , होशियार , जानकारों के हाथ की कठपुतली बन जातें हैं ...और शायद ये ही अनभिज्ञता आज समाज में बाबाओं की फ़ौज को जन्म दे रही है क्योंकि हम समाधान के लिए ज्ञान नहीं अन्धविश्वास के सहारे हैं ..और सबसे शर्म की बात ये कि हम कुछ साक्षर और कुछ निपट निरक्षर , ढोंगी पर चालाक और शातिर लोगों (बाबाओं ) के पयादे बने, अपनी थोड़ी-बहुत जानकारी को भी ताक पर रख उनकी शतरंज पर नाच रहें हैं ...

देश अपनी युवाओं की सबसे विशाल जनसंख्या के दम पर विश्व  शक्ति के रूप में अपनी पहचान बनाने की इच्छा रखता है ...और अभी हम सही तरीके से शिक्षित समाज का निर्माण भी नहीं कर पाए ...जल , भूमि , बिजली ,वन संरक्षण , नैतिकता , मानवता आदि बहुत सी बातों  में हमें अभी जानकार बनना है


अपनी पढ़-लिख पाने की क्षमता को अपने स्वयं के ज्ञान , बेहतरी , जानकारी और विकास में लगाने की अपील के साथ ...

आज के लिए इतना ही ...


अपना ख्याल रखियेगा.......


Comments

  1. आप एक बात बताइए आप शिक्षा पर ज्यादा ध्यान देने वालों में से हैं या साक्षरता पर

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    1. मैं मानती हूँ , साक्षर होने और शिक्षित होने में बड़ा अंतर ...मैं शिक्षित यानि विषय का जानकार होने को ज्यादा अच्छा मानती हूँ , जो पढ़ा जाये वो समझ में आये और प्रयोग करना भी आये

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  2. धन्यवाद धन्यवाद

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