सलाम ...भीतरी / बाहरी दोनों सेवादारों को

प्यार भरा नमस्कार दोस्तों ,
एक विचार चल रहा था दिमाग में सोचा आपसे साझा करूं ....आपकी बहुमूल्य राय का इन्तेजार रहेगा .
आप भी बाज़ार में उपलब्ध 'mutual fund investment scheme ' , ' insurance policies'  से तो यक़ीनन परिचित होंगे ...और आपने उनके साथ दी जाने वाली चेतावनी ' नियम एवं शर्तें लागू ' इत्यादि के बारे में सुना ही नहीं उनको कभी न कभी पढ़ा भी होगा  ऐसा मेरा विश्वास है ... चेतावनी ' तम्बाखू और सिगरेट ' के पैकेट्स पर भी लिखी होती है ... बावजूद उसके लाखो लोग दोनों ही ( पॉलिसीस में पैसा लगाने और (या )तम्बाखू सेवन ) में जोखिम उठाने को तैयार रहते हैं और अपनी जान /माल को दाँव पर लगाते भी  हैं ....

ऐसे ही बहुत से career options हैं , जिनके जोखिम जग जाहिर हैं और शायद इन्ही के चलते उनमें सुविधाओ और सहूलियतों की अधिक गुंजाईश रखी गयी या दी गयी है ...ऐसे व्यवसाय का चुनाव पूरी तरह व्यक्तिगत है बशर्ते की जान का जोखिम उसकी पहली शर्त है , कठिन परिस्थितियों का सामना , परिवार से दूरी भी निश्चित है
बावजूद इसके ( यहाँ बात चयनकर्ता के हौसले या साहस या राष्ट्र प्रेम की नहीं हो रही ) लोग स्वयं इस नौकरी का वरण बेहद कठिन ट्रेनिंग और हालात में करने को तैयार होतें हैं ... सलाम है उनके जज्बे को ...

इसके अलग अनेक ऐसी नौकरियां हैं जो यक़ीनन कम कठिन , सहूलियत भरे माहौल में , परिवार के साथ रहकर की जाती हैं पर यकीं मानिये उनके पीछे के जोखिम ( काम के दबाव , मानसिक शोषण , नौकरी खोने के डर , प्रतियोगिता की होड़ ) को पहले से उजागर नहीं किया जाता ...और वो नौकरियां भी अपने में जंग लड़ने से कम नहीं हैं .... बिना ठोस नियम / शर्तें बताये अनके सरकारी/ गैर-सरकारी नौकरियों में लगे लोग क्या आपके आस-पास भी नहीं हैं जो देश के अंदर ही अपनी लड़ाई भी लड़ रहें हैं और देश की प्रगति और निर्माण के साथी भी हैं    ईमानदारी  से सोचियेगा तभी आप सीमा पर और भीतर अपनी ही लड़ाई लड़ रहे ,जोखिम उठा रहे और देश को आगे बढ़ाने वाले दोनों तरह के लोगो में भेद कर पाएंगे जो हैं तो कमोबेश एक से ... पर सम्मान और सुविधाओं की कसौटी पर अलग-अलग तराजू में बैठे हैं ...
घर - परिवार की ही तरह देश को भी भीतर - बाहर से बराबर मदद की जरूरत है ...लेकिन पता नहीं क्यों मुझे कुछ समय से सिर्फ ऐसा सुनाई दे रहा है जैसे कि भीतर से सरकार (उन मंत्रियों का समूह जिनके बच्चे आर्मी की नौकरियों में नहीं जाते )और बाहर से केवल सेना ही है  जो देश के लिए लगे हैं ..बाकि अधिकतर देशवासी सिर्फ मस्ती - मजे में लगे हैं और चैन की नींद सो पाते हैं तो सिर्फ देशप्रेमी सीमा प्रहरियों के कारण ... पर मैंने तो कुछ लोगो को देश सेवा से अधिक कई बार सिर्फ इसलिए भी  इस कैरियर का चयन करते देखा है कि  कुछ समय की सेवा के बाद स्वयम ही नौकरी से इस्तीफा देकर भी वो उससे मिलने वाली आजीवन सुविधाओं का लाभ ले सकें और इस नौकरी की एवज में किसी दुसरे विभाग में नौकरी लेकर अपनी आगे की जिंदगी में दो पेंशन का लाभ भी उठा सकें (अपवाद हर कहीं हैं ) जबकि कुछ दुसरे विभाग ऐसे भी हैं जो आम जनता का शोषण करते हैं और सुविधा तो दूर तनख्वाह भी समय पर और काम के अनुरूप नहीं देते ...पर अफ़सोस ऐसे मेहनतकश कहीं न गीने जाते हैं न सराहे जाते हैं .... माननीय अब्दुल कलाम जी की एक स्पीच में सुना था कि '' ये भारत की त्रासदी हैं की हम किसी के हुनर के साथ-साथ उसके काम के प्रति लगाव को चूस लेते हैं ...और व्यक्ति अपना १००% नहीं दे पाता ".

मेरा मानना है कि काम की उपयोगिता और महत्ता को देखते हुए सबके योगदान को श्रेय और सराहना मिलनी चाहिए ...A GRAND SALUTE to ALL WORKERS .

आज के लिए बस इतना ही ....

अपना ख्याल रखियेगा ...










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