विकास ( सकारात्मक बदलाव ) समय की मांग
प्यार भरा नमस्कार दोस्तों ,
सुना या पढ़ा तो जरूर आपने भी होगा , आठ महीने की बच्ची तक का बलात्कार हो गया राजधानी दिल्ली में ,
किशोर तो अब निशानेबाजी में पारंगत हो ही गए हैं और निशाना भी सही दुश्मन (प्रिंसिपल) को बनाते हैं , स्कूल में अपने जूनियर को मार डालते हैं , MMS बनाना , नशा करना , नारेबाजी ( अधिकतर निरुदेश्य ), निजी स्वतन्त्रता के नाम पर अधिकारों का दुरूपयोग , माँ-बाप का अनादर , आधुनिकता के नाम पर अभद्रता ....
ये सब एक प्रश्न उठाते हैं उन नारों पर जिनमें हम विकास की बात करते हैं ...अपवाद हर जगह हैं ...ईमानदारी से सोचियेगा क्योंकि तभी आपको निश्चित ही अपने आस-पास ऐसे अनेक उदाहरन मिल जायेंगे जो इनमें से किसी न किसी बात की बानगी ( साक्ष्य ) देते ही होंगे ...
मैं ये लिखने के लिए प्रेरित हुई अपने एक पूर्व छात्र के फेसबुक स्टेटस को पढकर , जिसमें दिल्ली में आठ माह की बच्ची से हुए बलात्कार पर वो दुखी और शर्मिंदा है ... फिर लगा की शायद अविकसित है क्योंकि क्षत्रिय होने के बाद भी ' पद्मावत ' (फिल्म) के विरोध में नारे लगाने की जगह , क्रिकेट मैच का लुत्फ़ उठाने की जगह , किसी राजनितिक पार्टी की सदस्यता की आड़ में गुंडा-गर्दी करने की जगह या फिर लडकियों की मजबूरी का फायदा उठाने की जगह क्या बेमतलब और गैर-जरूरी बातों में उलझा है ....
अरे ! कौन गौ हत्या कर रहा है , किस धर्म या जाति के लोगों को उकसाकर उनका राजनितिक उपयोग किया जा सकता है या कॉलेज में आन्दोलन करना , पत्थरबाजी करना , अकेली (यहाँ तक कि एम्बुलेंस से परिवार के बीच से खींचकर) महिला का बलात्कार ...ऐसी बहुत सी चीजें हैं जो की जा सकती हैं ....पर मुझे फख्र है की ये उन चंद युवाओं में शामिल है जो अभी भी उस उम्मीद की लौ हैं जो वाकई देश में विकास ला सकते हैं और लायेंगे भी ये मेरा विश्वास है ...क्योंकि ये भड़के , बिगड़े , भ्रमित या अशिक्षित ( यहाँ साक्षर और शिक्षित में भेद को समझिएगा ) नहीं हैं ...इनमें ठहराव है , विचारों में परिक्वता है , सोच में गहराई है , इंसानियत है , इनके पास वास्तविक मुद्दे हैं ,ये बरगलाये हुए नहीं हैं ...ये युवाओं का वो जत्था है जो विकास का प्रतिबिम्ब है ... ये कृषि क्षेत्र में अनुसन्धान कर रहे हैं , ये नए अविष्कार और ऑनलाइन बाज़ार से क्रांति ला रहे हैं , ये वो हैं जो चर्चाओं में शामिल होते हैं और वाद-विवाद में हिस्सा लेकर नए विचारों को स्थापित करने की क्षमता रखते हैं .
विनम्र निवेदन करना चाहूंगी तथाकथित समाज के ठेकेदारों , धर्म के मालिकों , भ्रष्ट नेताओं और अध्यापकों से की देश की खातिर नहीं बल्कि अपनी ही आने वाली नस्लों की खातिर मत दोहन /शोषण करिए इनका अपने निजी स्वार्थ और फायदों के लिए ... बीमार समाज इसमें रहने वाले हर व्यक्ति के लिए संक्रामक है और घातक भी ..... सोचिये परिणामों के बारे में परिमाणों ( MEASUREMENT) के बारे में नहीं ...
बदलते समय के साथ सकारात्मक बदलाव और सही मायनो में विकास देख पाने की लालसा और उन सभी युवाओं के लिए (जो असल में विकास की और अग्रसर है )अनेकों शुभकामनाओं के साथ ...
आज के लिए बस इतना ही ....
अपना ख्याल रखियेगा ....
सुना या पढ़ा तो जरूर आपने भी होगा , आठ महीने की बच्ची तक का बलात्कार हो गया राजधानी दिल्ली में ,
किशोर तो अब निशानेबाजी में पारंगत हो ही गए हैं और निशाना भी सही दुश्मन (प्रिंसिपल) को बनाते हैं , स्कूल में अपने जूनियर को मार डालते हैं , MMS बनाना , नशा करना , नारेबाजी ( अधिकतर निरुदेश्य ), निजी स्वतन्त्रता के नाम पर अधिकारों का दुरूपयोग , माँ-बाप का अनादर , आधुनिकता के नाम पर अभद्रता ....
ये सब एक प्रश्न उठाते हैं उन नारों पर जिनमें हम विकास की बात करते हैं ...अपवाद हर जगह हैं ...ईमानदारी से सोचियेगा क्योंकि तभी आपको निश्चित ही अपने आस-पास ऐसे अनेक उदाहरन मिल जायेंगे जो इनमें से किसी न किसी बात की बानगी ( साक्ष्य ) देते ही होंगे ...
मैं ये लिखने के लिए प्रेरित हुई अपने एक पूर्व छात्र के फेसबुक स्टेटस को पढकर , जिसमें दिल्ली में आठ माह की बच्ची से हुए बलात्कार पर वो दुखी और शर्मिंदा है ... फिर लगा की शायद अविकसित है क्योंकि क्षत्रिय होने के बाद भी ' पद्मावत ' (फिल्म) के विरोध में नारे लगाने की जगह , क्रिकेट मैच का लुत्फ़ उठाने की जगह , किसी राजनितिक पार्टी की सदस्यता की आड़ में गुंडा-गर्दी करने की जगह या फिर लडकियों की मजबूरी का फायदा उठाने की जगह क्या बेमतलब और गैर-जरूरी बातों में उलझा है ....
अरे ! कौन गौ हत्या कर रहा है , किस धर्म या जाति के लोगों को उकसाकर उनका राजनितिक उपयोग किया जा सकता है या कॉलेज में आन्दोलन करना , पत्थरबाजी करना , अकेली (यहाँ तक कि एम्बुलेंस से परिवार के बीच से खींचकर) महिला का बलात्कार ...ऐसी बहुत सी चीजें हैं जो की जा सकती हैं ....पर मुझे फख्र है की ये उन चंद युवाओं में शामिल है जो अभी भी उस उम्मीद की लौ हैं जो वाकई देश में विकास ला सकते हैं और लायेंगे भी ये मेरा विश्वास है ...क्योंकि ये भड़के , बिगड़े , भ्रमित या अशिक्षित ( यहाँ साक्षर और शिक्षित में भेद को समझिएगा ) नहीं हैं ...इनमें ठहराव है , विचारों में परिक्वता है , सोच में गहराई है , इंसानियत है , इनके पास वास्तविक मुद्दे हैं ,ये बरगलाये हुए नहीं हैं ...ये युवाओं का वो जत्था है जो विकास का प्रतिबिम्ब है ... ये कृषि क्षेत्र में अनुसन्धान कर रहे हैं , ये नए अविष्कार और ऑनलाइन बाज़ार से क्रांति ला रहे हैं , ये वो हैं जो चर्चाओं में शामिल होते हैं और वाद-विवाद में हिस्सा लेकर नए विचारों को स्थापित करने की क्षमता रखते हैं .
विनम्र निवेदन करना चाहूंगी तथाकथित समाज के ठेकेदारों , धर्म के मालिकों , भ्रष्ट नेताओं और अध्यापकों से की देश की खातिर नहीं बल्कि अपनी ही आने वाली नस्लों की खातिर मत दोहन /शोषण करिए इनका अपने निजी स्वार्थ और फायदों के लिए ... बीमार समाज इसमें रहने वाले हर व्यक्ति के लिए संक्रामक है और घातक भी ..... सोचिये परिणामों के बारे में परिमाणों ( MEASUREMENT) के बारे में नहीं ...
बदलते समय के साथ सकारात्मक बदलाव और सही मायनो में विकास देख पाने की लालसा और उन सभी युवाओं के लिए (जो असल में विकास की और अग्रसर है )अनेकों शुभकामनाओं के साथ ...
आज के लिए बस इतना ही ....
अपना ख्याल रखियेगा ....
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