कविता ... जज्बातों की !


एक कविता .......... गौरैया !

हताश , निराश , उदास कौआ दूर दूर तक उड़ रहा था ,
कौआ प्यासा नही था ....वो तो गौरैया को ढूँढ रहा था ,
गौरैया उसकी बिरादरी की नहीं थी ,पर आसमान में उसकी साथी रही थी !

उसके जैसे सबकुछ नही खाती थी , छतो , आंगनों , घरों से अनाज के दाने ,
रोटी के टुकड़े , छोटे नन्हे कीड़े चुग लाती थी !

उसके जैसे कांव कांव का शोर भी नही मचाती थी , चीं चीं से घर आंगन चह्काती थी ,
गौरैया फुदकती फिरती , रोशनदानो , पेड़ों  में घोसलें बनाती थी !

गौरैया तिनका तिनका लाती थी , बारिश आने की खबर सूखी मिटटी में पंख फडफडा कर दे जाती थी ,
गौरैया छत पर पानी के बर्तन पर कौए को आता देख उड़ जाती थी, जैसी भी थी... कौए को भाती थी !

पर ... पतंग के विदेशी धागों , बिना पेड़ों के कंक्रीट के जंगलों , बिजली के नंगे तारों , गाड़ियों के धुएं ,
आधुनिक जीवन... सबने गौरैया को मार डाला L L L 
               
कौआ प्यासा नहीं था .... बस अपनी नन्हीं दोस्त को MISS कर रहा था !!!
............................  x  ......................  x  ........................  x  ...............................



                            " उडान "

नन्हें नन्हें  डैने मेरे पूरे पर ,  तो बनने दो
मम्मा पापा जन्म देकर , एक उडान तो भरने दो !

.वादा करती हूँ अपने पंखों को , नहीं अधिक फैलाऊंगी ,
सिमित रखकर उडान को , आपका मान  बढाऊंगी ,
लेकिन पहले मुझको इस दुनिया में , कदम तो धरने दो !
मम्मा पापा जन्म देकर ................................  !


. है वादा ये भी कि , अपनी चोंच कभी ना खोलूँगी ,
मौका और वक्त देखकर , अपनी चाह बदल लूंगी ,
पर पहले मुझको इस जीवन के ढंग , तो जरा समझने दो !
मम्मा पापा जन्म देकर ...................... !

. हर मौसम और हर हालात को , अपने पंखों पर झेलूंगी ,
कितना भी कठिन हो जीवन , चोंच कभी ना खोलूँगी ,
लेकिन पहले अपने अंदर माँ , मुझे आकार तो लेने दो !
मम्मा पापा जन्म देकर ..................................!

Jazbat....








Comments

  1. Thank u so much dear Simmi... ur appreciation is an encouragement !

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