कविता - रिश्ता !
'' रिश्ता ''
ये एक रिश्ता बहुत ही प्यारा है ,
जिसमें आस भी है, विश्वास भी , भरोसा भी है और यकीं भी !
ये एक रिश्ता बहुत ही प्यारा है ,
जिसमें रूठना भी है , मनाना भी , छेड़ना भी है और हँसाना भी !
ये एक रिश्ता बहुत ही प्यारा है ,
जिसमे तड़प भी है , इन्तजार भी , इनकार भी है और स्वीकार भी !
ये एक रिश्ता बहुत ही प्यारा है ,
जिसमे सब-कुछ है थोड़ा - थोड़ा , और प्यार बहुत ज्यादा है !
एक रिश्ता जिसका कोई नाम नहीं है ....बहुत ही प्यारा है !!!
पर कहाँ मंजूर है दुनिया को कोई बेनाम रिश्ता ! तुम ना दो नाम, तो वो दे देती है ...
वैसे दुनिया भी कहाँ कोई रिश्तेदार है हमारी... फिर भी वो जबरन हमारी जिन्दगी को घेर लेती है !
कौन है ? कहाँ है ? किसकी है असल में ये दुनिया ? क्या ये झुण्ड है उन लोगों का जो हमेशा सामने हैं ....
पर साथ नही !!!
आज के लिए इतना ही ...
अपना ख्याल रखियेगा .....
Ranjana ji, bahut hi behtreen likkha hai ��
ReplyDeleteBahut bahut shukriya 🙏
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