जूनून (एक नया मज़हब)



प्यार भरा नमस्कार दोस्तों ,

बड़े लम्बे समय से , बहुत सी ख़बरों के हवाले से और बहुत सारी आस-पास की घटनाओं से मुझे अब लगने लगा है कि अब दुनिया में एक नए मजहब ने गहरी जगह बना ली है ...और इसके अपने कायदे , सोच और फलसफें हैं ...यकीनन इसका इंसानियत , मासूमियत , आपसी प्यार , भाई-चारे से भी कोई लेना देना नही है ... ये उन लोगों के झुण्ड का मजहब है जो कि सताये , दबाये , धिक्कारे और उससे भी ज्यादा उकसाए गये हैं , जिनकी कोई अपनी निजी सोच नही है , जो बरगलाये गये हैं ... जो अधिकतर अशिक्षा ,गरीबी , भुखमरी , लालसाओं , महत्वाकांक्षाओं के शिकार हैं .... और जो चालाक , धूर्त , अमानवीय ,मतलबपरस्त लोगों के द्वारा गुमराह किये जाते हैं ... 

अजीब नही लगना चाहिए अगर मै कहूं कि.... कश्मीर में पत्थरबाजी , निर्दोषों की हत्या , देश में पत्रकारों का खून , भीड़ का लोगों को शक की बिना पर पीट-पीट कर मार डालना , औरतों /बच्चियों /लडकियों की इज्जत लूटकर उनकी नृशंस हत्या करना वगैरह वगैरह  ... इस नए मजहब के रीति – रिवाज़ हैं , और जिन रिवाजों को पूरा करने के लिए वो ज्यादातर धर्म, जाति , कारण , जरूरत किसी की परवाह नही करते ...करते हैं तो अपने जूनून (धर्म/ मजहब) का पालन I

तादाद बढ़ रही है इस धर्म के अनुयायियों की ...क्यों ? क्योकिं समाज अब संकीर्ण और स्वार्थी मानसिकता का शिकार है ..लोग समाधानों की  बात नही करते ,  लोग बात करते हैं फायदों की  ‘’सिर्फ अपने /निजी फायदों की ... तभी तो सडकों पर दुर्घटना के शिकार दम तोड़ देते हैं , औरतों को किसी से सुरक्षा की उम्मीद नही है , अस्पताल मरीजों के शोषण का अड्डा बन गए हैं , स्कूल माँ – बाप को निचोड़ने की मशीन ,हर पेशे में  हर जगह हर आदमी ‘’ हमें क्या करना !, भाई आज के समय में अपने काम से काम रखना चाहिए !’’ वाले तरीके से मात्र अपना फायदा निकलने में लगा है I 

इस आप-धापी से भरी , भागती – दौड़ती , एक दुसरे को हर तरह पछाड़ने में लगी जिन्दगी में क्या कभी किसी क्षण के लिए हम जिन्दगी के दुसरे पहलू पर गौर करते हैं ... क्या अपने योगदान, अपने नैतिक कर्तव्य के बारे में जानने की कोशिश करते हैं ??? चलिए जाने दीजिये हमें क्या करना ! हमे पड़ी भी क्या है !

हम अपने परिवार की जिम्मेदारी उठा लें , उनकी सहूलियतों की परवाह करें ! उनकी हसरतों को पूरा कर लें ये ही काफी है I  वो अलग बात है कि हम या हमारे बच्चे या आने वाली पुश्तें भी इसी जुनूनी मजहब से दो-चार होने वाली हैं ... और ये ही हालात रहे तो कभी इसका(जूनून) सामना या इसका शिकार भी हो सकते हैं हम या हमारे बच्चे या हमारी आने वाली पुश्तें !

सोच के देखिएगा ...क्योंकि इतना तो हम कर ही सकते हैं !

आज के लिए इतना ही .....

अपना ख्याल रखियेगा .....

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