अवसाद / depression (part 2)





प्यार भरा नमस्कार दोस्तों,

पिछली बार आपसे निराशा पर बात की थी ....मेरा मानना है कि निराशा की जड़ें अस्वस्थ शरीर में हैं ...लेकिन इसके दूसरे पहलू को भी अनदेखा नही किया जा सकता और वो है उम्मीद ...जी हाँ आशा या उम्मीद ! आपने  खुद भी महसूस किया होगा कि जब हमारी उम्मीद का स्तर बढ़ता है ...फिर वो चाहे घर के सदस्यों से हमारा ध्यान रखने के लिए हो , स्कूलों  या विद्यालयों में अच्छे नम्बर मिलने की हो , नौकरी में अच्छा पद या तनख्वाह में बढ़ोतरी की हो , अपने प्रिय से प्रेम पाने की हो , प्रिय के द्वारा याद किये जाने की हो , धन – सम्पदा बढने की हो , अपने सपनों को पूरा करने की हो( जिसमें दूसरों की भी भागीदारी हो)..अधिकतर मन को निराशा से भर देती हैं ...विशेषकर जब इन उम्म्मीदों और सपनों में हम खुद से ज्यादा दूसरों से अपेक्षाएं रखते हैं ... तब निराशा अनायास ही हमारे इर्द-गिर्द घिर आती है

याद कीजिये कभी किसी छोटे बच्चे को अचानक गिर जाने पर चोट लगने से ज्यादा इस बात पर रोते देखा हो कि माँ आकार उसे उठाये गले लगाये ...रोना चोट लगने पर इतना नही जितना माँ के देर से आने पर आता है .... किसी के फोन का इन्तेजार , किसी से तोहफा , तारीफ या मदद की उम्मीद सब हमें परेशान करती हैं ...क्योंकि इन सब में एक आशा छुपी है ...और जब ‘’आशा’’ पूरी न हो तो उसका उलट होगा ‘’निराशा ‘’....

मानेगें न ! ऐसा ही होता है जब उम्मीद टूटती है तो निराशा आती है और नियमित जीवन में खलल पैदा होता है ...जिसका असर खान -पान और दिनचर्या पर पड़ता है ...अनियमित दिनचर्या यानि खान-पान में भी लापरवाही ..... जिसका असर शरीर को शिथिल या कमजोर करता है ...शरीर कमजोर होता है तो मन उचाट हो जाता है और मन अकेला होता है तो अपनी ख़ुशी के  लिए किसी का साथ किसी की मदद की कामना करने लगता है .....!!!

एक चक्र है ये....लेकिन अंतर ये है कि ये एक सीधी-सादी जीवन रेखा को चक्र में बदल दिया जाता है ...शुरुआत जन्म से लेकर परिवार के प्रेम , समाज के सहयोग और स्वस्थ जीवन शैली को अपनाने से होगी ...खुद में भरोसा , उम्मीदों से परहेज ....कारगर नुस्खें हैं !!!  आजमा कर देखिये मान जायेंगे !!   

सबकी बेहतरी और एक पुरसुकून जिन्दगी की कामना के साथ ....

आज के लिए बस इतना ही ..


अपना ख्याल रखियेगा ....

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