ठेला बनाम स्वरोजगार




प्यार भरा नमस्कार दोस्तों,

हर बार ही ज्यादातर ऐसा होता है कि समाचार पत्रों के जरिये मन में विचारों की श्रृंखला तेजी पकड़ लेती है , पता चला कि गुजरात के वडोदरा में गोल-गप्पों पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया है लोगों की सेहत के मद्देनजर I अच्छा लगा सोचकर कि कितना ध्यान रखा जा रहा है समाज का , नागरिकों का ... पर बात अगर सेहत की है तो क्यों ना सिगरेट , शराब , गुटखे पर भी प्रतिबन्ध हो हर राज्य में ... उन पर सिर्फ वैधानिक चेतावनी है ! क्यों ???  क्या इनसे सेहत और  समाज की सूरत पर फ़र्क नही पड़ता ?? शायद इन पर रोक से सरकार की सेहत और जेब पर फ़र्क पड़ता है ! क्या ये सम्भव नही कि जाँचकर्ता नियुक्त किये जाएँ जो इन गोल-गप्पे / चाट / भेल-पूरी / चाऊमिन इत्यादि बेचने वालों पर नजर रखें I  शायद इससे देश में बेरोजगारी की समस्या से कुछ निजात मिले ! पर हाँ ये भरोसा भी सरकार को दिलाना होगा कि जांचकर्ता की भी समय-समय पर पड़ताल हो वरना तो नुकसानदेह ठेलों और उनके जाँच अधिकारी जरूर फले-फूलेंगे चाहे लोगों की सेहत बिगड़ जाये I

इन ठेलों पर रोक छोटे व्यापार / निजी उद्योग पर कुठाराघात है ... बड़े शहरों की आधुनिक और चमकदार जिन्दगी से अलग हमारे देश में एक मलिन , पिछड़ी और गरीब दुनिया भी है जिसमें सडक पर सब्जी , ठेलों पर सामान , फेरीवालों की अपनी अहमियत है,बहुत हद तक हम नावाकिफ़ हैं उस दुनिया से ... पर सरकार के वोट बैंक में उस दुनिया का  बड़ा योगदान है .. इसलिए सरकार को उनकी सेहत के साथ-साथ इन छोटे धंधों से जीविका चलाने वालों के बारें में सोचना और उनके लिए विकल्प देने के साथ ही प्रतिबन्ध की निति को अपनाना चाहिए I

एक बढ़ते हुए शहर जहाँ BIG BASKET , BIG BAZAR , MALLS etc. कि संस्कृति अभी नही उभरी है और निकट के गावों और शहर के अंदर भी ठेला अभी फैशन में है ... उन निचले स्तर के स्वरोजगार करने वालों के लिए मन में चिंता उठी क्योंकी कुछ हैं जो डिग्रियां लेकर भटक रहे हैं , कुछ हैं जो दलों और पार्टियों का हिस्सा बन कर समय गुजार रहे हैं , कुछ आतंक फ़ैलाने , बलात्कार करने , अपराध करने में लिप्त हैं ...तो जो मेहनत से रोजी-रोटी चला रहें हैं उनको पर्याप्त सुअवसर दियें जाये नाकि पेट पर लात मारी जाये I

बस मन की बात आप तक पहूँचाने के साथ आज के लिए इतना ही ...

अपना ख्याल रखियेगा ....

Comments

  1. सही कहा जाए तो आजकल ये जो फास्टफूड के ठेले हैं, ये ज़्यादा हानिकारक हैं। और इनसे भी ज़्यादा हानिकारक है सिगरेट, शराब तंबाकू का सेवन। लेकिन सरकार को सबसे ज़्यादा कमाई ही इन चीज़ों से है तो रोक कैसे लगा सकती है।

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  2. निजी फायदों से ऊपर ही नही उठना चाहता कोई । ये ही सबसे बड़ी चुनौती है ।

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